Friday, October 29, 2010

लावण्या

लावण्या

रंगत गोरी शहद सी बोली
लावण्या दिखती है भोली
तेज दिमाग दिल कलात्मक
उर्वर मेधा है रचनात्मक I

माँ जैसी वह है इमोशनल
तैरे जैसे कोई प्रोफेशनल
फटफट कर सब्जियां काटे
फेसबुक पर सूचनायें बाटें I

पोज बनती झट से सुंदर
गीत फूटते ज्यों हो निर्झर
कभी-कभी झगड़े दीदी से
जुड़ा है गहरा जिससे दिल पर I

एक सी हैं बचपन की यादें
साथ साथ जीने के वादे
पापा से बतियाती है जब
दुनिया को भुलाती है तब I

लावण्या, तुम हो अति प्यारी
नजर लगे न कभी हमारी
इसी तरह लिखती भी रहना
चमके एक दिन कलम तुम्हारी !





सुदेशना

प्रिय सुदेष्णा  के लिये अनगिनत शुभकामनाओं सहित

 अल्पभाषिनी, शांतमना
अधरों पर सहज स्मित रेखा!
संकोची कुछ, पर झलकाती
आत्म बल, जब भी उसे देखा!

पढ़ने की अभिरुचि सुसंस्कृत
कलाकार की नजर है पाई,
हाथों में अद्भुत जादू है
जब कागज पर कृति बनाई I

कठिन साधना की कॉलेज में
नई मंजिल की अब तलाश है,
स्नातक हुई भौतिकी में अब
कर्मक्षेत्र की मन को आश है I

जीवन के कुछ नए पृष्ठ अब
पढ़ने हैं मुंबई जाकर, 
एक और सीढ़ी चढ़नी है
अंतर शक्ति नई जगाकर I

देहली से नाता जब टूटा
दिल थोड़ा घबराया होगा,
एक नया फिर नीड़ बनाने
की हिम्मत मन लाया होगा I

माँ-बाबा, दादी की खुशियाँ
हैं तुमसे हर पल जुड़ी हुईं,
संग सदा तुम उनके रहती
हम से भी न कभी जुदा हुईं I

दुलियाजान की हरियाली को
रिमझिम वर्षा की झड़ियों को,
मन के एक कोने में रखना
संग सखी बीती घड़ियों को I

महानगर की भीड़भाड़ में
कंक्रीट के उस उपवन में,
एमबीए की भागदौड़ में
याद उन्हें कर लेना मन में I

स्मृति सदा जागृत रखना
मन उपवन को सदा हरा-भरा,
श्रम एक दिन रंग लाएगा
नहीं किसी को संदेह जरा I

ढेरों शुभकामनायें ले लो
पुनः सुनहरा पल आया है  
एक नवीन तपस्या का फिर  
जीवन में अवसर आया  है I









लता जी

लता मंगेशकर- भारत की महान गायिका
स्वर सम्राज्ञी, कोकिला कंठा
शान विश्व की, आन देश की
भारत रत्ना, महान हैं लता
सर्वोत्तम पहचान स्वदेश की!
इंदौर की भूमि हुई हर्षित
सन २९ में जन्मी लता
दीनानाथ, शुद्ध मती की
सबसे बड़ी दुलारी कन्या I

हृदय नाथ की प्यारी दीदी
बहनें आशा, उषा, मीना
नन्हीं उमर में सीखा अभिनय
सीखा सुर में गाना गाना I

अमान अली खां हों या अमानत
लता सदा थीं गुणवती शिष्या
तेरह वर्ष की हुईं अभी थीं
सर से उठा पिता का साया I  

परिवार का बोझ आ पड़ा
करना पड़ा फिल्मों में काज
धीरे –धीरे गायन में वह
सिद्ध हुईं बनी सरताज I

गीत हजारों तब से गाये
जाने कितने दिल धडकाए
जन्म दिवस पर लें बधाई
बार अनेकों यह दिन आये !


  

रिया

रिया के सातवें जन्मदिन पर ढेर सारी शुभकामनाओं के साथ

अंक सात का है शुभकारी
सप्त स्वरों की महिमा न्यारी
सतरंगी है इन्द्र्धनुष भी
हुई सात की रिया हमारी I

घर के काम सदा करवाती
होली पर गुजिया भरवाती
माँ की छाया बनी सदा वह
खाने वाली मेज सजाती I

खुश रहती हैं टीचर सारी
तेज दिमाग लिखाई प्यारी
शांत सदा कक्षा में रहती
मैचिंग पर फिदा सुकुमारी I

कुछ न कुछ सदा करना चाहे
छुट्टियों में दिन भरना चाहे
पेंटिंग, ड्राइंग, कशीदाकारी
कहानी सुनना उसको भाए I

कार्टून की है दीवानी
लेकिन न करती मनमानी
मूल्य समय का वह पहचाने
रिया रानी बड़ी सयानी I

भैया के संग होती मस्ती
कभी लड़ाई कभी दोस्ती
पापा डांट कभी न पाए
माँ की बातों पर हँस देती I

जनम दिवस के इस मौके पर
खुशियों के इस सुंदर पल पर
सदा रहो मुस्काती यूँ ही
सभी दुआएँ देते मिलकर I












मुकेश

जन्मदिन पर स्नेह व शुभकामनाओं सहित

मस्ती का है नाम मुकेश
जल्दी उड़ गए जिसके केश
अपनाया गेरुआ वेश
देता सबको प्रेम संदेश !

भोग लगाता पंडित जैसा
बचपन में करता था पूजा
चुनरी ओढ़ नृत्य भी करता
कोई झिझक न कोई हूजा !

अनुज सभी का सबका स्नेही
दुल्हन भी अति सुंदर पायी
प्यारी सीं दो मिलीं बेटियाँ
किस्मत उसने अद्भुत पायी !

अपना समझ के काम करे वह
कर्मशील न थकना जाने
प्रमोशन भी पाए कितने
नाम बैंक में हर कोई जाने !

सुखमय हो जीवन का हर पल
जन्म दिवस पर तुम्हें बधाई
पिता की सेवा का अवसर पा
नित नयी तकदीर बनाई !

बढ़ते चलो साधना पथ पर
पालो भीतर शांति के स्वर
मिले शाश्वत का सान्निध्य
उड़ो गगन में लगा ध्यान पर !






भुंईया दा

भुइयाँ दा

मन की अलबम के पृष्ठों को, जरा पलट कर देखा आज
उभरा हो सजीव दृश्य वह, गूंजी भीतर वह आवाज I 

पहला बेसिक कोर्स हुआ था, दुलियाजान हुआ रोमांचित
थी शुभो बनर्जी की विदाई, प्रतिभागी सभी थे पुलकित I

गीत आपने इक गाया था, सबके मन को जो भाया था
बंगलोर से आया मेरा दोस्त, दोस्त को सलाम करो I

ए. ओ. एल. का नन्हा अंकुर, आज पनप कर वृक्ष हुआ है
स्नेह जल से सींचा इसको, प्रेम आपने सदा दिया है I

भोला शंकर भोला गाते, कभी द्रवित हो माँ को बुलाते
भाव भरा आपका उर है, मीठे स्वर में भजन सुनाते I

सदगुरु की है कृपा आपपर, जीवन ऐसे सुखमय बीते
हर मुश्किल आसां हो जाये, जग को निज स्वभाव से जीतें I

एक और स्मृति अंकित है, पर्यावरण के प्रति समपर्ण
प्लास्टिक मुक्त हो शहर हमारा, सेवायें की अपनी अर्पण I

जगह-जगह बोर्ड लगवाये, प्लास्टिक के दोष गिनवाए
सोया लेकिन जन मानस है, अब भी न सचेत हो पाए I

लेकिन यह प्रयास आपका, दुलियाजान नहीं भूलेगा
यदि भविष्य में महल बना तो, नींव का पत्थर यही बनेगा I

ई. थर्टी सेवन की यादें, सबके दिल में बसी हुईं
आज विदा की इस बेला में, आंखें भी कुछ नम हुईं I

सदगुरु के प्रकाश में हम सब, पालें भीतर का आकाश
जग से जाएँ उससे पहले, दुखों से पालें अवकाश I






काकू



प्रिय काकू के लिये जन्म दिन की ढेर सारी शुभकामनाओं के साथ


यथा नाम तथा गुण पाया
जीवन को निर्दोष बनाया I

सीधा, सरल , सहज स्वभाव
फैशन का नहीं अधिक प्रभाव I

मेधा सूक्ष्म बना इंजिनियर
कॉमर्स में भी पहुँच बड़ी पर I

शिक्षा से अति लगन लगाई  
जॉब छोड़ फिर करे पढ़ाई I

कवि हृदय संगीत भी चाहे
कर्णप्रिय गिटार बजाये I

माँ का दुलारा गर्व पिता को
सबसे प्यारा है बहना को I

मित्रों में अति लोकप्रिय है
व्यक्तित्व भी दर्शनीय है I

जन्मदिवस पर ढेर बधाई
अगला हर पल हो सुखदाई I

श्रम कर साधो मन के मनके 
स्वप्न सभी सच हों जीवन के I


जन्मदिन पर शुभकामनाएँ

शुभकामनाएँ

दुबला-पतला बदन इकहरा 
भरा जोश अंतर में अतुलित
पल-पल रहती पूर्ण सजग वह
करना चाहे सब कुछ समुचित I

करती नाम सार्थक अपना
वातावरण बनाये प्रज्जवलित
छोटा-बड़ा हो साथ किसी के
अन्याय न करे समर्थित I

सुंदर वस्त्रों का संयोजन
पारंपरिक हों या आधुनिक
सज-धज मोहक वाक्-पटु भी
रूचि पाई है परम धार्मिक I

देवर, जेठ, नन्द, सासु माँ
रिश्ते सभी निभाना जाने
प्रातः भ्रमण नियम से करती
मायके पर भी मिटना जाने I

नन्हें-नन्हें बच्चों को नित
स्नेह देकर करती अनुशासित
बिटिया पर बस चले न कोई
हो जाती उससे ही शासित I

वात्सल्य की जीत सदा हो
उर भीगे नेह से हो पुलकित
नियम सभी पीछे रह जाते
भोलेपन पर होती अर्पित I

सेवा और साधना करती
मस्ती का यही है राज
स्वीकारो हार्दिक बधाई
जन्म दिवस आया है आज I