Wednesday, March 25, 2015

जन्म दिन पर

जन्म दिन पर
ढेर सारी आशीषों के साथ

छोटे केश गोल है मुखड़ा
बड़ी-बड़ी आंखें कुछ कहतीं,
मुस्काता है पूरे दिल से
कोई झिझक न दिल में रहती !

दादा-दादी, माँ का दुलारा
पापा की आँखों का तारा,
दिल में बसे नाना-नानी के
रोहन जग में सबसे न्यारा !

आ आ प प् बोल फूटते
ज्यादा सोता, थोड़ा रोए, 
दिन भर व्यस्त रखे वह माँ को
दूध सब्जियाँ फल सब भाए !

बुआ के संग मस्ती करता
एक साल का हुआ अभी है,
मासी, मामा दूर भले हों
 कई दीर्घ यात्रायें की हैं !


Friday, March 13, 2015

जन्मदिन पर

जन्मदिन पर 

अल्हड़ छोरी, दीपा रानी
प्यारा मुखड़ा, मीठी वाणी,
खूब किताबें पढ़ती है पर
मोबाइल की है दीवानी !

नये-नये फैशन वह जाने
तरह-तरह की मुद्राएँ भी,
सखियों संग पटती है खूब
कभी मुक्त हो गाये भी !

पैरों में छिपा है नाच
दिल भी ताता थैया करता,
कभी किसी को नहीं सताता  
सुख बांटे यह इच्छा करता !

दीदी-जीजू जान छिड़कते
माँ-पापा की आँख का तारा,
जन्मदिवस पर लो बधाई
बीते सुख से जीवन सारा !


Wednesday, March 11, 2015

जन्मदिन पर


जन्मदिन पर 

एक रेलवे कॉलोनी है, मुग़लसराय की गलियों में,
वहीं पली, बढ़ीं, पढीं थीं, ब्याही गयीं बनारस में

भरे घर में आयीं भाभी, सँग भईया के फेरे डाल
देवर-ननद, सास-ससुर सब, हुए बहू पाकर निहाल

सीतापुर, सहारनपुर में, कुछेक बरस बिताए फिर
राजधानी में बना आशियाँ, जनकपुरी जा पहुंची फिर

हरि नगर में चंद दिनों तक, रौनक भी फैलाई थी
स्थायी आवास को लेकिन, कृष्ण पुरी ही भायी थी

हंसमुख और मिलनसार भी, सजना-धजना बहुत है भाता
बातों में होशियार बड़ी हैं, पाकशास्त्र की भी हैं ज्ञाता

दोहरा बदन मगर फुर्तीली, भाभी जिनका नाम सुमन है
प्यारी माँ हैं, प्रिया सजीली, बहुत पुराना यह बंधन है

गीत सुनातीं झूम-झूम के, बड़े भाव से पूजा करतीं
कॉलोनी में सबसे मिलकर, सारे पर्व मनाया करतीं

जन्म दिन फिर-फिर आता है, कुछ भूली सी याद दिलाने
सुख-दुःख तो आते जाते हैं, आये हैं हम बस मुस्काने



Thursday, March 5, 2015

जन्मदिन पर


जन्मदिन पर 

मांगीं थीं कितनी मनौतियाँ, माँ, पिता ने तुमको पाया
देवलाली बनी जन्मभूमि, नया उजाला घर में छाया I

कहतीं हैं माँ गोलमोल थे, घने केश, था सुंदर मुखड़ा
बचपन का एक फोटो भी है, जैसे कोई चाँद का टुकड़ा I

दूध जलेबी खूब खिलाई, तुमको नाजों से पाला था
अनुज और बहनें आयीं फिर, तुमने खूब सम्भाला था I

वाराणसी में बचपन बीता, क्रिकेट खेलते टूटा दांत
बीटीएस में शिक्षा पायी, हाई स्कूल किया था पास I

इंटर किया एआईसी से, बड़े बड़े कंधों तक केश
बच्चन थे फेवरेट हीरो, बेलबाटम था तब का वेश I

पीएमसी ग्रुप बीएससी में, वहीं हुई थी आँखें चार
लेकिन तब तक किसे पता था, इसको ही कहते हैं प्यार I

एमएससी कर शोध कार्य भी, बीएचयू में शुरू किया
बार्क में फिर काम मिला पर, दस ही दिनों में छोड़ दिया I

किस्मत लायी फिर दुलियाजान, नीड़ सुहाना यहीं बनाया
तेल कम्पनी आयल इंडिया में, अनुसंधान का काम किया I

सक्षम वैज्ञानिक बन चमके, उपलब्धियों की एक श्रंखला
नयी-नयी तकनीकें देकर, आयल को है समृद्ध किया I

आरएंडडी को किया है उन्नत, आईएसआई का मार्क दिया
वेबसाइट की शुरुआत की, सौंदर्यीकरण में साथ दिया I

स्नेह सभी को मिलता तुमसे, समझौते कितनों में कराए
जगह जगह है छाप तुम्हारी, कितनी कीं विदेश यात्रायें I

जाने कितने लिखे हैं पेपर, पुरस्कार भी कितने पाए
सहज, प्रखर, उर्वर मेधा से, नए-नए प्रोजेक्ट चलाए I

आज गर्व से ऊँचा है दिल, तुम से जुडकर मिली है मंजिल
नाम तुम्हारा जुड़ा नाम से, मुस्काई है देखो महफिल I

मनपसंद डिश कढ़ी बेसन की, नीला रंग तुम्हें भाता है
मेलबोर्न की यादें दिल में, मुनार भी याद आता है I

शहरों में शहर बैंगलुरु, जोधपुर-ताज होटल यूनिक  
‘कीप-ऑफ-द-ग्रास’ किताब फेवरेट, फिल्म है साउंड-ऑफ-म्यूजिक I

आज तुम्हारा जन्म दिवस है, खुशियों का समां छाया
जीवन एक उत्सव है कहने, मुस्काने का मौसम आया I