Thursday, May 28, 2015

जन्मदिवस पर शुभकामनायें

जन्मदिवस पर शुभकामनायें 


जीवन ऐसा सफर है जिस पर
सुख-दुःख चलते साथ हमारे,
एक बिना रह पाए न दूजा
मिलकर दोनों राह संवारें !

तुमने भी इस मोहक पथ पर
बरसों पहले कदम बढ़ाए,
स्नेह छाया में माँ-बाबा की
भाई-बहन संग नगमे गाये !

हुई कल्पना सत्य, पाया
जब जीवन साथी मन भावन,
रुचियाँ एक, साम्य सोच में
बंधन बना अति ही पावन !

दी आजादी संग ममता के
आत्मविश्वास दिया बिटिया को,
एक पूर्ण व्यक्तित्त्व है माना
जाना नहीं अबोध सुता को !

श्रम करती हुई भी मुस्काती
अद्भुत साहस तुमने पाया,
जीवन के रस को चखने में
सदा स्वयं को आगे पाया !

इसी भांति सदा साहस भर
कर्त्तव्य पथ पर चलना,
दूर हटा बाधाएँ सारी
यूँ ही सदा हँसती रहना !


Monday, May 25, 2015

जन्मदिवस पर शुभकामनायें


जन्मदिवस पर शुभकामनायें


अर्धशतक की ओर बढ़ रहे जनाब
सेवा कर माँ की पाते सबाब,
चौंका देना है शौके मिजाज
खिलाते घरवालों के गालों पे गुलाब !

फूलों, पंछियों के अक्स उतारे
सज गयी जिनसे बच्चों की किताब,
नफासत पसंद, सूक्ष्म निगाहें
हर शै का खासा रखते हिसाब !

ढेरों पत्रिकाएँ बढ़ातीं घर का शबाब
टीवी को सुबहोशाम करते आदाब,
कलाकारों को बिठाया है दिल में
पूरे किये कई बचपन के ख्वाब !

घर से दफ्तर, दफ्तर से घर
श्रीमती को खुश रखते जनाब,
बिटिया को भेजा है नजरों से दूर
                    बिल फोन का क्यों बढ़े न बेहिसाब !                      


Friday, May 22, 2015

विवाह की वर्षगाँठ पर

öविवाह की वर्षगाँठ पर 

तुम्हें याद है
अग्नि की पावन वह ज्वाला
झुके नयन कंपित हाथों से
पहनायी सुंदर जयमाला
दो जीवन तब एक हुए थे
नव यात्रा पर कदम बढ़े थे !

तुम्हें याद है
õनन्हे पावों की वह आहट
अंतर्मन को छू ले ऐसा
मधुर हास्य मीठी तुतलाहट
पलक झपकते बरस बीत गए
बचपन के दिन युवा हो गए !

तुम्हें याद है
दुःख की घड़ियाँ मिलकर काटीं
सुख के स्वप्न संजोये कितने
कितने उत्सव साथ मनाये
संग-संग देखे सूर्योदय व
चान्दनी रातों में मुस्काए !

तुम्हें याद है
साथी अभी और चलना है
जीवन के इस नये मोड़ पर
उम्र के सूरज को बढना है
सम्बल देते एक दूजे को
जीवन ज्योति बन जलना है !


Tuesday, May 5, 2015

जन्म दिन पर

 जन्म दिन पर


अधरों पर मुस्कान खिली है
नयन चमकते, तन चन्दन सा,
 घुंघराले हैं केश रेशमी
जो भी देखे रहे देखता !

भीतर एक तलाश चल रही
बाहर सारी दुनिया घूमे,
दिल में प्रेम छलकता छल-छल
पशु-पक्षियों तक जा पहुँचे !

वर्षों से विदेश बना घर
अपना कमरा फिर भी भाए,
माँ के हाथों बने व्यंजन
 बचपन अब भी उसे बुलाए !

निडर भाव, आवाज में मिश्री
हँसी खनकते सिक्कों सी,
अति आधुनिक वस्त्र सजीले
व्यक्तित्व में एक परी सी !

कलम पर है पकड़ अनोखी
किस्से और कहानी गढ़ती,
मित्र मंडली बहुत बड़ी है
हक से सबके दिल में रहती !