Thursday, November 27, 2025

जीवन अब इक क्रीड़ा प्रांगण

प्रिय सखी के लिए 
विवाह की वर्षगाँठ पर 
हार्दिक शुभकामनाओं सहित 

संग-संग दुनिया देखी है 
संग-संग हमने सीखा है, 
जिस दिन फेरे लिए अग्नि के 
तेरे सिवा न कुछ परखा है !

मिलन-विरह दोनों रुत आयीं 
ज़िम्मेदारी सभी निभायीं, 
दोनों प्रिय संतान सुखी हैं 
वरदानों सी हमने पायीं !

जीवन अब इक क्रीड़ा प्रांगण 
सारा जग अपना घर लगता, 
देह और मन की सीमाएँ 
तोड़ के नित नव लक्ष्य गढ़ता !

कूदें नील गगन से भू पर 
या सागर में गहरे जायें, 
उर में जोश, शक्ति पाँवों में
नई मंज़िलें तय कर आयें !

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