प्रिय सखी के लिए
विवाह की वर्षगाँठ पर
हार्दिक शुभकामनाओं सहित
संग-संग दुनिया देखी है
संग-संग हमने सीखा है,
जिस दिन फेरे लिए अग्नि के
तेरे सिवा न कुछ परखा है !
मिलन-विरह दोनों रुत आयीं
ज़िम्मेदारी सभी निभायीं,
दोनों प्रिय संतान सुखी हैं
वरदानों सी हमने पायीं !
जीवन अब इक क्रीड़ा प्रांगण
सारा जग अपना घर लगता,
देह और मन की सीमाएँ
तोड़ के नित नव लक्ष्य गढ़ता !
कूदें नील गगन से भू पर
या सागर में गहरे जायें,
उर में जोश, शक्ति पाँवों में
नई मंज़िलें तय कर आयें !

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