Tuesday, May 5, 2015

जन्म दिन पर

 जन्म दिन पर


अधरों पर मुस्कान खिली है
नयन चमकते, तन चन्दन सा,
 घुंघराले हैं केश रेशमी
जो भी देखे रहे देखता !

भीतर एक तलाश चल रही
बाहर सारी दुनिया घूमे,
दिल में प्रेम छलकता छल-छल
पशु-पक्षियों तक जा पहुँचे !

वर्षों से विदेश बना घर
अपना कमरा फिर भी भाए,
माँ के हाथों बने व्यंजन
 बचपन अब भी उसे बुलाए !

निडर भाव, आवाज में मिश्री
हँसी खनकते सिक्कों सी,
अति आधुनिक वस्त्र सजीले
व्यक्तित्व में एक परी सी !

कलम पर है पकड़ अनोखी
किस्से और कहानी गढ़ती,
मित्र मंडली बहुत बड़ी है
हक से सबके दिल में रहती !


4 comments:

  1. शुभकामनायें

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  2. बहुत शानदार , आपको बहुत बधाई

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  3. स्वागत व आभार हर्षिता जी व मदन मोहन जी !

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  4. स्वागत व आभार हर्षिता जी व मदन मोहन जी !

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