Friday, May 22, 2015

विवाह की वर्षगाँठ पर

öविवाह की वर्षगाँठ पर 

तुम्हें याद है
अग्नि की पावन वह ज्वाला
झुके नयन कंपित हाथों से
पहनायी सुंदर जयमाला
दो जीवन तब एक हुए थे
नव यात्रा पर कदम बढ़े थे !

तुम्हें याद है
õनन्हे पावों की वह आहट
अंतर्मन को छू ले ऐसा
मधुर हास्य मीठी तुतलाहट
पलक झपकते बरस बीत गए
बचपन के दिन युवा हो गए !

तुम्हें याद है
दुःख की घड़ियाँ मिलकर काटीं
सुख के स्वप्न संजोये कितने
कितने उत्सव साथ मनाये
संग-संग देखे सूर्योदय व
चान्दनी रातों में मुस्काए !

तुम्हें याद है
साथी अभी और चलना है
जीवन के इस नये मोड़ पर
उम्र के सूरज को बढना है
सम्बल देते एक दूजे को
जीवन ज्योति बन जलना है !


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