अनुज के लिए जन्मदिन पर शुभकामनाओं सहित
शहर-शहर में डगर-डगर पर
सन्यासी सम विचरण करते,
ऊँची-नीची सड़कों पर चल
सदा एक का सुमिरन करते !
काशिपुर,देहरा, हरिद्वार
नैनिताल की मनहर घाटी,
कभी लखनऊ, नगर मुज्जफर
खुशियाँ जगह-जगह पर बाँटी !
कोरोना भी रोक न पाया
ड्यूटी की जब बारी आयी,
मन में जोश अधर पर स्मित है
कुदरत की सुंदरता भायी !
गुरु का हाथ सदा है सिर पर
ज्ञान प्रकाश मार्ग दिखलाता,
सदैव चमकता चन्द्रमा सा
मुख दर्पण में उर दिख जाता !
इसी तरह सुंदर जीवन में
आह्लाद के कुसुम खिलाना,
जग उस पावन का मंदिर है
कदम-कदम पर यही जताना !
जी नमस्ते ,
ReplyDeleteआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शनिवार (१२ -०३ -२०२२ ) को
'भरी दोपहरी में नंगे पाँवों तपती रेत...'(चर्चा अंक-४३६७) पर भी होगी।
आप भी सादर आमंत्रित है।
सादर
सुन्दर सृजन।
ReplyDeleteबहुत सुंदर ममतामई शुभकामनाएं।
ReplyDeleteसुंदर सृजन।
अनुज को हमारी भी शुभकामनाएं दें।
सस्नेह।
बहुत सुंदर रचना
ReplyDeleteबहुत सुंदर कविता अनीता जी, गुरु का हाथ सदा है सिर पर
ReplyDeleteज्ञान प्रकाश मार्ग दिखलाता,
सदैव चमकता चन्द्रमा सा
मुख दर्पण में उर दिख जाता !...वाह