Wednesday, February 22, 2017

विवाह की स्वर्ण जयंती समारोह पर


आदरणीय व प्रिय श्रीमती कांता अरोड़ा व श्री ओम प्रकाश अरोड़ा  जी के विवाह की स्वर्ण जयंती समारोह पर स्नेह भरी शुभकामनाओं सहित


स्वप्न भरे अनगिन नयनों में 
अर्ध शतक तक संग चले वे,
एक अनोखी प्रेम कहानी 
ले हाथों में हाथ खड़े वे !


बचपन बीते थे लखनऊ में
मुल्तान में हुए थे जन्म,
चौक गली में रहती थीं वह
गली छोड़ ही बसे थे प्रियतम !


हाईस्कूल कर लिया डिप्लोमा
सीना, पिरोना कभी न छोड़ा
माँ ने पीले हाथ कर दिए 
कांता मित्रा बनीं अरोड़ा !


स्टेट बैंक ने दी आजीविका 
इंटर कर ही ज्वाइन किया,
कोटद्वार पहली नगरी थी 
फिर तो नहीं विश्राम लिया !


बारहवीं की परीक्षा दी तब
सुर ताल बसे थे मन में,
सुखद अति संयोग बने थे 
कांता जी के जीवन में !


तीन बेटियाँ घर में आयीं 
गूंज उठी प्यारी किलकारी,
नन्ही कलियों से सज गयी हो 
जैसे कोई आंगनवारी !


सच्चा जीवनसाथी पाया 
एकदूजे को सहयोग दिया,
आगे बढ़ने व पढ़ने की 
लिखने की भी दी प्रेरणा !


साथ-साथ ही दी परीक्षा
स्नातक की पायी उपाधि,
टूट-फूट की करें मरम्मत 
हाथों में काबलियत थी !


हो सिकन्दराबाद या मथुरा
पौड़ी, मेरठ या डिबाई,
हर मंजिल पर साथ-साथ थे 
सुन्दर इक  गृहस्थी बसाई !


सैंतीस साल की बैंक की सेवा
मैनेजर का था पद पाया,
घर बनवाने की बारी थी 
गाजियाबाद ही मन को भाया !


कवयित्री और समाज सेविका 
मधुर अति बोली उनकी,
जीवन में लक्ष्य सुन्दर थे 
भेंट सदा दी संस्कारो की !


तीन बेटियां और दामाद 
सबको है आप पर नाज,
नाती, नतिनी वारी जाते 
सबके दिल में लड्डू आज !


एक सुनहरा पल आया है
सुखद मिलन की बेला आयी,
दूर-पास के सभी प्रियजन 



मिलकर देते मधुर बधाई !

2 comments:

  1. बहुत सुंदर रचना , प्रभावशाली ! मंगलकामनाएं आपकी कलम को

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