जन्मदिन पर
माह जुलाई का आया तो
संग अपने परिवर्तन लाया,
योग पुनः आया जीवन में
कुक ने हल्का फ़ूड खिलाया !
वरना कोरोना हावी था
हफ़्तों जिसने घर बैठाया,
फिर शेफाली की थाली से
बैठे-ठाले वजन बढ़ाया !
अब गाड़ी पटरी पर आयी
जीवन फिर से चल निकला है,
काम के साथ और भी कुछ है
हर मुश्किल का हल निकला है !
प्रैक्टो का यह साल बारहवाँ
नए नए कीर्तिमान बनाए,
ऑन लाइन का युग आया है
डाक्टर घर बैठे मिलवाए !
काम भी है और सेवा भी है
दोनों हाथ में लड्डू अपने,
जल्दी ही सब हो नार्मल
फिर से देखें कल के सपने !
अभी तो आज में ही जीना है
नित्य ही नयी चुनौती आती,
मन में जोश मस्तिष्क में हल ले
हर दिन क़िस्मत रंग दिखाती !
जी नमस्ते ,
ReplyDeleteआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शनिवार(०२-१०-२०२१) को
'रेत के रिश्ते' (चर्चा अंक-४२०५) पर भी होगी।
आप भी सादर आमंत्रित है।
सादर
हार्दिक धुभकासमनाएँ,😊
ReplyDeleteयाथर्थ को बयां करती बहुत ही उम्दा रचना
ReplyDeleteअभी तो आज में ही जीना है
ReplyDeleteनित्य ही नयी चुनौती आती,
मन में जोश मस्तिष्क में हल ले
हर दिन क़िस्मत रंग दिखाती !
बहुत ही सुंदर रचना आदरणीय मैम🙏🙏🙏
बहुत सुंदर रचना ।
ReplyDeleteबहुत सुंदर रचना,
ReplyDeleteबहुत सुंदर रचना
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