Thursday, June 15, 2023

पुनर्मिलन


कॉलेज के मित्रों से पुनर्मिलन के अवसर पर 

हवा में घुलकर आयीं लौट 
कुछ यादें कैम्पस को छूकर, 
की पार चौथाई सदी, दी 
दिल के दरवाजे पर दस्तक !

पुनः सजीव हुए पल भर में 
बरसों बरस पुराने सपने, 
मिटीं दूरियाँ मीलों की हैं 
फेसबुक पर सभी से मिलके !

जब से दिल को खबर हुई है 
आँखें मिलने को हैं व्याकुल, 
इक दूजे को फिर देखेंगे  
उर भी सोच-सोच है आकुल ! 

जीवन के इस दीर्घ मार्ग पर 
कितने मोड़ कठिन भी आये, 
रुक जाने के. सुस्ताने के 
अंतर में थे भाव समाये ! 

जब भी पग कमजोर पड़े थे 
भीतर कोई जोश दिलाता, 
कुछ करने जग में आये हैं 
जज्बा यही  आगे बढ़ाता ! 

इतना श्रम करके जो पाया 
घटने कैसे देता उमंग, 
कितने सपने देखे थे मिल 
उन वर्षों की यादें थी सँग ! 

माँ, बाबा की सीख याद है 
जग में सबसे हिलमिल रहना, 
जो भी जितनी पायी  क्षमता  
जग को कुछ सुंदर कर जाना ! 

एक लगन आगे बढ़ने की 
एक आग भीतर जलती थी,  
कभी मिलेंगे, जो बिछड़े हैं 
भीतर-भीतर वह कहती थी ! 

आज वही अवसर अनुपम है
नूर झलक आया चेहरों पर, 
उम्र घट गयी हो पल भर में 
पांव में थिरकन, गीत जुबां पर ! 

खुद से मिलने का जी करता 
खुद में सबको पाया जो है, 
दूर नहीं अब पल मिलने का 
गीत मिलन का गाया जो है ! 
 

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