विवाह की वर्षगाँठ पर
असीम है जैसे मेरा प्रेम
तुम्हारे लिए
वैसे ही तुम्हारा नहीं होगा
यह मानने का कोई कारण तो नहीं
वर्षों का साथ है पर अब भी
कोई नयी बात पता चल जाती है
ज़िंदगी रोज़-रोज़ कोई रहस्य
खोलती जाती है
अनंत है प्रेम का आकाश
उसके हज़ारों हैं रंग
एक ही बात को कहने को
हज़ारों हैं ढंग
कोई छोटा सा इशारा ही
काफ़ी है प्रेम के
किसी न किसी आयाम को
जतलाने के लिए
नहीं चाहिये मन को कोई आश्वासन
साथ होना ही काफ़ी है
दिल का हाल
बतलाने के लिए !
साथ होना ही काफ़ी है
ReplyDeleteदिल का हाल
बतलाने के लिए !
शुभकामनाएं
वंदन
स्वागत व आभार !
Deleteआपकी लिखी रचना "पांच लिंकों के आनन्द में शनिवार 11 जनवरी 2025 को लिंक की जाएगी .... http://halchalwith5links.blogspot.in पर आप भी आइएगा ... धन्यवाद!
ReplyDeleteबहुत बहुत आभार दिग्विजय जी !
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