Wednesday, January 8, 2025

प्रेम का आकाश

विवाह की वर्षगाँठ पर 

असीम है जैसे मेरा प्रेम 
तुम्हारे लिए 
वैसे ही तुम्हारा नहीं होगा 
यह मानने का कोई कारण तो नहीं  
वर्षों का साथ है पर अब भी 
कोई नयी बात पता चल जाती है 
ज़िंदगी रोज़-रोज़ कोई रहस्य 
खोलती जाती है 
अनंत है प्रेम का आकाश
उसके हज़ारों हैं रंग 
एक ही बात को कहने को
 हज़ारों हैं ढंग  
कोई छोटा सा इशारा ही 
काफ़ी है प्रेम के 
किसी न किसी आयाम को 
जतलाने के लिए 
नहीं चाहिये मन को कोई आश्वासन 
साथ होना ही काफ़ी है 
दिल का हाल 
बतलाने के लिए !


4 comments:

  1. साथ होना ही काफ़ी है
    दिल का हाल
    बतलाने के लिए !
    शुभकामनाएं
    वंदन

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  2. आपकी लिखी रचना "पांच लिंकों के आनन्द में शनिवार 11 जनवरी 2025 को लिंक की जाएगी .... http://halchalwith5links.blogspot.in पर आप भी आइएगा ... धन्यवाद!

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    1. बहुत बहुत आभार दिग्विजय जी !

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