Sunday, January 26, 2025

साहस भरा हर श्वास में

माँ की पुण्य स्मृति को श्रद्धा सुमन 


उन्होंने हमें दिया जनम 

पोषण किया कर हर जतन, 

उस स्नेह ममता मूर्ति  को

कर याद हम करते नमन !


पढ़ती रहीं पढ़ाती भी 

बुनती सदा  सिखाती भी, 

साहस भरा हर श्वास में 

वह इक आत्मा स्वतंत्र थीं !


घूमीं बहुत पर्वत चढ़ीं 

दीपक जो छह जला गयीं, 

पिता संग माँ हर हाल में 

तृप्ति  का रस पिला गयीं  !


हम याद करते हैं उन्हें 

शुभ प्रेम अंतर में भरे, 

उन्हीं  रास्तों पर चल सकें 

जीवन से निज दिखा गयीं !



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