Thursday, November 3, 2016

जहाँ रहो खुशियाँ ही बिखेरो

जन्मदिवस पर ढेर सारी शुभकामनाओं के साथ


नन्हा अभिनव था गोदी में
जब हम पहली बार मिले थे,
पढ़ ली थी आँखों की भाषा
दिल भी अपने बहुत खिले थे !

सँग-सँग कितनी शामें काटीं
मुस्कानों सँग बाटीं बातें,
जंगल घूमे, मनी पिकनिकें
नदियों के पानी में झाँके !

सिक्किम की वह मधुर यात्रा
यादें दार्जलिंग की सांझी,
धुर दक्षिण की रेल यात्रा
कितनी दिल में पुलक जगाती !

सहज, सरल स्वभाव तुम्हारा
शांत हृदय और तीव्र मेधा,
न कोई शिकवा न ही अपेक्षा
जो भी मिले, संतुष्ट सदा !

सुख-दुख दोनों में सम रहतीं
बच्चों को संस्कार दिये हैं,
आज याद आ रहीं सारीं बातें
अनुपम जो उपहार दिये हैं !

सदा रहोगी तुम इस दिल में
जब तक जीवन है यह शेष,
जहाँ रहो खुशियाँ ही बिखेरो
‘विभा’ तुम हो बहुत विशेष !


1 comment:

  1. अनिता जी, जन्मदिन पर बहुत ही सुंदर तरिके से बधाई दी है आपने!

    ReplyDelete