जन्मदिन पर शुभकामना सहित
पढना, लिखना, गुनना, भाता
भीतर की दुनिया की राही,
सत्य नजर से देखे दुनिया,
सुख की नई परिभाषा पाई !
अब जब नीड़ हुआ है खाली,
बच्चे कभी-कभी आते हैं,
घर में एक मन्दिर बनाया,
पर्व पड़ोसियों संग मनते हैं !
मोह नहीं गहनों, वस्त्रों का
मुक्त हृदय की है स्वामिनी,
मुखड़ा आत्म ज्योति से दमके,
अधरों पर आनन्द
रागिनी !
सीधी, सरल, प्रेममयी वह
मिलने वालों का दिल छूती,
तप कर सोना और निखरता,
दर्प, गर्व से सदा अछूती !
सीधी सरल प्रेममयी वह, मिलने वालों का दिल छूती । आपके वर्णन ने भी दिल को छू लिया अनीता जी ।
ReplyDeleteजी नमस्ते ,
ReplyDeleteआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शनिवार(१९-०३-२०२१) को 'मनमोहन'(चर्चा अंक- ४०११) पर भी होगी।
आप भी सादर आमंत्रित है।
--
अनीता सैनी
सादर नमस्कार।
ReplyDeleteकृपया १९ को २० पढ़े।
अब जब नीड़ हुआ है खाली,
ReplyDeleteबच्चे कभी-कभी आते हैं,
घर में एक मन्दिर बनाया,
पर्व पड़ोसियों संग मनते हैं !
मोह नहीं गहनों, वस्त्रों का
मुक्त हृदय की है स्वामिनी,
मुखड़ा आत्म ज्योति से दमके,
अधरों पर आनन्द रागिनी !
बहुत ही सुंदर रचना, सादर नमन, हार्दिक आभार, टिप्पणी के लिए बहुत बहुत धन्यबाद
अब जब नीड़ हुआ है खाली,
ReplyDeleteबच्चे कभी-कभी आते हैं,
घर में एक मन्दिर बनाया,
पर्व पड़ोसियों संग मनते हैं !
मोह नहीं गहनों, वस्त्रों का
मुक्त हृदय की है स्वामिनी,
मुखड़ा आत्म ज्योति से दमके,
अधरों पर आनन्द रागिनी !
बहुत ही सुंदर रचना, ढेरों बधाई हो, टिप्पणी करने के लिए आपका बहुत बहुत धन्यबाद
बहुत खूब । जिसका भी जन्मदिन हो उसको हमारी शुभकामनाएँ
ReplyDeleteबहुत ही सुंदर भावपूर्ण रचना आदरणीय अनीता जी, यकिनन ऐसी तो मां ही होती है, मां के जन्मदिन दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं आपको
ReplyDeleteNice Post :- skymovieshd, skymovieshd.in, skymovieshd movies Download in Hindi | Bollywood Hollywood movie download
ReplyDeleteबहुत बहुत सुन्दर मधुर रचना |
ReplyDeleteबहुत खूबसूरत लिखा है मैम
ReplyDeleteपढना, लिखना, गुनना, भाता
ReplyDeleteभीतर की दुनिया की राही,
सत्य नजर से देखे दुनिया,
सुख की नई परिभाषा पाई !
अब जब नीड़ हुआ है खाली,
बच्चे कभी-कभी आते हैं,
घर में एक मन्दिर बनाया,
पर्व पड़ोसियों संग मनते हैं !
मोह नहीं गहनों, वस्त्रों का
मुक्त हृदय की है स्वामिनी,
मुखड़ा आत्म ज्योति से दमके,
अधरों पर आनन्द रागिनी !
सीधी, सरल, प्रेममयी वह
मिलने वालों का दिल छूती,
तप कर सोना और निखरता,
दर्प, गर्व से सदा अछूती !
बेहद खूबसूरत रचना अनीता जी, होली पर्व की हार्दिक शुभकामनाएं शुभ प्रभात, सादर नमन
पढना, लिखना, गुनना, भाता
ReplyDeleteभीतर की दुनिया की राही,
सत्य नजर से देखे दुनिया,
सुख की नई परिभाषा पाई !
अब जब नीड़ हुआ है खाली,
बच्चे कभी-कभी आते हैं,
घर में एक मन्दिर बनाया,
पर्व पड़ोसियों संग मनते हैं !
मोह नहीं गहनों, वस्त्रों का
मुक्त हृदय की है स्वामिनी,
मुखड़ा आत्म ज्योति से दमके,
अधरों पर आनन्द रागिनी !
सीधी, सरल, प्रेममयी वह
मिलने वालों का दिल छूती,
तप कर सोना और निखरता,
दर्प, गर्व से सदा अछूती !
हृदयस्पर्शी बहुत ही सुंदर रचना, सादर नमन
आप सभी का हृदय से आभार!
ReplyDelete