जन्मदिन पर ढेर सारी शुभकामनाओं सहित
बचपन की याद का घरौंदा
अंतर्मन में एक बसा है,
कृतज्ञता का भाव जगा तो
हर अलगाव यूँही बहा है !
जीवन में विवेक जब जागे
उर में पावन प्रेम निखरता,
सत्य-असत, शाश्वत-नश्वर का
अंतर उर में स्वयं प्रकटता !
जीवन में अनुशासन आया
प्रकृति प्रेम हर भोर बुलाए,
दूर-दूर तक भ्रमण चले या
बगिया में कुछ फूल उगाए !
सुर-ताल की जमी है महफ़िल
सदा बाँटने से सुख बढ़ता,
ध्यान-योग के सत्र भी चलें
है द्वार सदन का सदा खुला !
कुछ नवीन करने का जज़्बा
जीवन को नव अर्थ दे रहा,
छुपी हुई प्रतिभा भी जागी
काव्य कला में हाथ सध रहा !
सृजन, ध्यान, चिंतन या भोजन
हर मोड़ पर साथ परिवार,
पुत्रियों को संस्कार मिल रहे
प्रिया के दिल को ख़ुशी अपार !
जन्मदिवस पर यही कामना
स्वप्न सभी साकार हो सकें,
गहराई ऐसी हो मन में
जीवन निज हर मर्म जता दे !
जी नमस्ते ,
ReplyDeleteआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शनिवार (१९-०२ -२०२२ ) को
'मान बढ़े सज्जन संगति से'(चर्चा अंक-४३४५) पर भी होगी।
आप भी सादर आमंत्रित है।
सादर
लाजवाब।
ReplyDeleteलाजवाब।
ReplyDeleteबहुत सुंदर भावों से सुशोभित अभिनव सृजन।
ReplyDeleteशुभकामनाएं।