Tuesday, August 18, 2015

विदाई पर

आदरणीय व प्रिय आंटी के लिये ढेर सारी शुभकामनाओं के साथ

आधी सदी से दुलियाजान में
बनते देखा तेल नगरी को,
दिल में इक इतिहास छुपाये
ले यादों की इक गठरी को !

सदा जोश भरी वह मिलतीं
जाने कितने दिलों में रहतीं,
किस्सों का हैं एक खजाना
अविरत प्रेम सी बहती रहतीं !

बचपन से ही बड़ी जुझारू
ऊर्जा कभी खत्म न होती,
दुःख सहकर भी सुख ही बाँटें
जीवन उनका सच्चा मोती !

ऊँचा कद, सौम्य मुस्कान
एक बड़ा परिवार बसाया,
असमय छूटा साथ प्रिय का
घेर न पाया दुःख का साया !

बड़े धैर्य से पाला पोसा
ब्याह किया सब कन्याओं का,
आज सुखी हैं सब निज घर में
कदर सिखाया सदा हुनर का !

ज्ञान भरा है गहरा मन में
गुरु के द्वार पे जाना सीखा,
सुख में दुःख में सम रहती हैं
रिश्तों को निभाना सीखा !

 होली हो या हो दीवाली
घर पर ही बनाएँ मिठाई,
निज हाथों से रोपें पौधे
कितनों को सिखाई सिलाई !

आज विदा की बेला आयी
साथ छूटता है अब अपना,
स्मृति सदा रहेगी मन में
जैसे कोई सुंदर सपना !

जहाँ रहें मिसाल बनेंगी
आंटी, आप उजाला जग का
ऐसे ही मुस्काते हँसते,
बढ़े सफर सुंदर जीवन का !






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