आदरणीय व प्रिय आंटी के लिये ढेर सारी
शुभकामनाओं के साथ
आधी सदी से दुलियाजान में
बनते देखा तेल नगरी को,
दिल में इक इतिहास छुपाये
ले यादों की इक गठरी को !
सदा जोश भरी वह मिलतीं
जाने कितने दिलों में रहतीं,
किस्सों का हैं एक खजाना
अविरत प्रेम सी बहती रहतीं !
बचपन से ही बड़ी जुझारू
ऊर्जा कभी खत्म न होती,
दुःख सहकर भी सुख ही बाँटें
जीवन उनका सच्चा मोती !
ऊँचा कद, सौम्य मुस्कान
एक बड़ा परिवार बसाया,
असमय छूटा साथ प्रिय का
घेर न पाया दुःख का साया !
बड़े धैर्य से पाला पोसा
ब्याह किया सब कन्याओं का,
आज सुखी हैं सब निज घर में
कदर सिखाया सदा हुनर का !
ज्ञान भरा है गहरा मन में
गुरु के द्वार पे जाना सीखा,
सुख में दुःख में सम रहती हैं
रिश्तों को निभाना सीखा !
घर पर ही बनाएँ मिठाई,
निज हाथों से रोपें पौधे
कितनों को सिखाई सिलाई !
आज विदा की बेला आयी
साथ छूटता है अब अपना,
स्मृति सदा रहेगी मन में
जैसे कोई सुंदर सपना !
जहाँ रहें मिसाल बनेंगी
आंटी, आप उजाला जग का
ऐसे ही मुस्काते हँसते,
बढ़े सफर सुंदर जीवन का !
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