जन्मदिन पर
शुभकामना सहित
पढ़ना, लिखना, गुनना, भाता
भीतर की दुनिया की राही,
सत्य नजर से देखे दुनिया,
सुख की नव परिभाषा पाई !
अब जब नीड़ हुआ है खाली,
बच्चे कभी-कभी आते हैं,
घर में एक मन्दिर बनाया,
पर्व पड़ोस संग मनते हैं !
मोह नहीं गहनों, वस्त्रों का
मुक्त हृदय की बनी स्वामिनी,
मुखड़ा आत्म ज्योति से दमके,
अधरों पर आनन्द रागिनी !
सीधी, सरल, प्रेममय अंतर
मिलने वालों का दिल छूती,
तप कर सोना और निखरता,
दर्प, गर्व से सदा अछूती !
बहुत सुंदर सृजन
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