विवाह की वर्षगाँठ पर
वर्षों का है साथ पुराना
एक हुए थे दोनों आज,
एक-दूजे की कीमत जानें
रिश्ते पर दोनों को नाज !
शुभ दिन आया भर उल्लास
याद दिलाने उस बंधन की,
जीवन में आगे ले जाता
प्रीत जगी है प्रभु पावन की !
सद्गुरु का आलोक जगा है
मन में आया परम प्रकाश,
हर दुःख को हँस कर सह लेते
चिंता का नहीं अवकाश !
बेटी की खुशियाँ चाहते
सदा प्रेरणा उसको देते,
सुखी रहे घरबार सम्भाले
हिम्मत और सहारा देते !
हम सब की भी यही दुआ है
स्वप्न आपके सब हों पूरे,
कोई बात न बिगड़े अब से
नहीं रहें कोई काम अधूरे !
जी नमस्ते ,
ReplyDeleteआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शनिवार(३०-०४ -२०२२ ) को
'मैंने जो बून्द बोई है आशा की' (चर्चा अंक-४४१६) पर भी होगी।
आप भी सादर आमंत्रित है।
सादर
बेटी की खुशियाँ चाहते
ReplyDeleteसदा प्रेरणा उसको देते,
सुखी रहे घरबार सम्भाले
हिम्मत और सहारा देते !
हम सब की भी यही दुआ है
स्वप्न आपके सब हों पूरे,
कोई बात न बिगड़े अब से
नहीं रहें कोई काम अधूरे !
.. रिश्तों के खूबसूरत अहसास में पगी सुंदर रचना ।
सुन्दर रचना!
ReplyDeleteसुन्दर रचना!
ReplyDeleteबेहद खूबसूरत रचना।
ReplyDeleteविवाह के वर्षगाठ की हार्दिक शुभकामनाएं, दी।
ReplyDeleteबहुत शुभकामनाएं
ReplyDeleteविवाह वर्षगांठ की हार्दिक शुभकामनायें अनीता जी...आप ऐसे ही हमें अपने रचना संसार से आल्हादित करती रहें...सद्गुरु का आलोक जगा है
ReplyDeleteमन में आया परम प्रकाश,
हर दुःख को हँस कर सह लेते
चिंता का नहीं अवकाश !...यादगार रचना रहेगी ये...
आपको विवाह की वर्षगांठ पर हमारी हार्दिक शुभकामनायें...आप ऐसे ही हमें अपनी रचनाओं से आल्हादित करती रहें..सद्गुरु का आलोक जगा है
ReplyDeleteमन में आया परम प्रकाश,
हर दुःख को हँस कर सह लेते
चिंता का नहीं अवकाश !