Monday, August 4, 2025

तुम हो सारे घर की रौनक़

नन्ही गुड़िया के

पहले जन्मदिन पर 

ठुमक-ठुमक कर चलती घर में 

किलकारी भी गूँज रही है, 

छवि तुम्हारी छवि देखकर 

नानी माँ बस झूम रही है !


एक बरस की आज हुई हो 

माँ-पापा भी वारी जाते, 

बड़ी दुलारी दादी माँ की 

नाना भी तो नाज उठाते ! 


संग भाइयों के सदा खेलो

झटपट अ आ इ ई सीखो, 

गुजराती में बात करो और 

अंग्रेज़ी में गाना सीखो !


तुम हो सारे घर की रौनक़ 

बड़े मज़े से बड़ी हो रही, 

तुतला कर कह देती सब कुछ 

निज पैरों पर खड़ी हो रही !


जन्मदिवस पर खूब बधाई 

खिला रहे मुखड़ा फूलों सा, 

सब के दिल में यही दुआ है 

सुंदर हो हर पल जीवन का !


Sunday, July 27, 2025

अंतिम श्वासें जब आती हों

पापाजी की प्रथम बरसी पर 

विनम्र श्रद्धांजलि स्वरूप 


एक बरस संपूर्ण हुआ है 

सहज ही याद आ रहे आप, 

घर के हर कोने में जैसे 

छायी उन्हीं कदमों की छाप! 


बड़े मज़े से पेपर पढ़ते 

अधलेटे बेड पर लेटे हों, 

हौले-हौले उतरें सीढ़ी 

सोफ़े पर जाकर बैठे हों !


झाड़न लिए हाथ में अपने 

दर-दीवारें साफ़ कर रहे, 

आँगन में फैलाते कपड़े 

मन ही मन कुछ जाप कर रहे !


कभी दूध देते बिल्ली को 

कभी नीर पौधों को देते, 

कितनी छवियाँ मन में आतीं 

दिखते जिनमें बातें करते !


जीवन की हर एक घड़ी का 

आदर किया आपने दिल से, 

अन्तर में सुख बसा हुआ था 

दिन कटते थे ईश स्मरण में !


ऐसे ही हो जीवन अपना 

मरण जहाँ उत्सव बन जाये, 

अंतिम श्वासें जब आती हों 

हाथ दुआ में तब उठ जायें !


Sunday, July 13, 2025

गगन विशाल बसा है मन में

प्रिय पुत्र के लिए 

 जन्मदिन पर ढेर 

सारी शुभकामनाओं और स्नेह सहित 


 सुबह व्यस्त और व्यस्त शाम को  

लेकिन योग साधना जारी, 

जीवन संगिनी साथ हर कदम 

मुखड़े पर मुस्कान है न्यारी !


बाधाएँ कितनी भी आयीं 

 किया सामना अति हिम्मत से 

जन्मदिवस पर ढेर दुआएँ 

देते हैं सब मिलकर दिल से !


भर जाती है पुलक ह्रदय में 

उड़े ड्रोन जब नील नभ में , 

 किंतु याद इसे भी रखना  

 गगन विशाल बसा है मन में   !


देवालय है देह हमारी 

इसका भी कुछ ध्यान करो, 

स्वयं के साथ बिताओ कुछ पल  

जीवन में कुछ गहरे उतरो  !


 भरा हुआ घर उपकरणों से 

तरह-तरह के सामानों से, 

वहाँ जरा सी जगह बनाओ 

मन को भी थोड़ा फैलाओ !


Friday, July 11, 2025

जीवन में इक लय व छंद है

आदरणीय जीजाजी के लिए 

 जन्मदिन पर हार्दिक शुभकामनाओं सहित 


मुख पर संतोष भरी मुस्कान

बन गयी है आपकी पहचान, 

छोटी-बड़ी ज़रूरत का हर

दीदी-बच्चे रखते हैं ध्यान !


तन थक जाए कभी ज़रा सा 

 पर मन का हौसला बुलंद है, 

 वरदान मिला है दीर्घायु का

जीवन में इक लय व छंद है !


आँगन में बगिया मुस्काए,

 हर मौसम कुछ नया दे जाए,

 आम, लीची, लुकाठ, करी पात 

 नींबू, पुदीना सुरभि लुटाए !

 

भोर में पंछी गीत सुनाते 

घर भर देती मधुर गुंजार,

संबंधों में स्नेह बह रहा  

पोती-नातिनों की चहकार !


लोहड़ी, होली, या दिवाली 

हर उत्सव मिलकर मनाते

 ऑनलाइन खेलों के संग 

 शॉपिंग का भी लुत्फ़ उठाते !


जीवन जैसे शांत समंदर

 हर लहर कहे कितना सुंदर,

 साथ मिला जो सच्चा, पावन

 उससे ही पथ हुआ यह भावन !


 यही कामना हम सब की, हो 

जन्मदिवस हर साल निराला,

 रहें आप स्वस्थ और  सानंद 

 खुशियों का हो संग उजाला !




Tuesday, July 8, 2025

दिल में ले भारत की यादें

प्रिय भाभी के लिए 

जन्मदिन पर ढेर सारी शुभकामनाओं सहित 


दिल्ली की गर्मी से राहत 

मिली शीतल मंद हवाओं में, 

सागर के सुंदर तटों पर 

कनाडा की मस्त फ़िज़ाओं में !


नीले नभ पर श्वेत बदलियाँ 

सागर का जल भी नीला है, 

हाथ लिए हाथों में अपने 

जीवन साथी साथ खड़ा है !


सजे-धजे सुंदर वस्त्रों में 

स्वच्छ रास्तों पर चलना है, 

दिल में ले भारत की यादें 

नई स्मृतियों से मन भरना है !


बिटिया के घर जाकर यूँ भी 

हर दिन नया-नया लगता है, 

जन्मदिवस तो ख़ास तौर पर 

इस बार अनोखा लगता है !


हम सब देते ढेर दुआएँ 

ऐसे ही मुस्काती रहना, 

आने वाले हर इक पल में 

प्रीत के नग़मे गाती रहना !

Monday, June 2, 2025

एक अदृश्य लोक से आतीं

आदरणीय व प्रिय दीदी के लिए 

जन्मदिन पर ढेर सारी 

शुभकामनाओं के साथ 


जीवन का जो मर्म जानतीं 

तृप्ति का जो धर्म जानतीं, 

बनी अजस्र प्रेम की धारा 

निष्काम जो कर्म जानतीं !


सदा प्रफ़्फुलित अंतर जिनका 

बेशर्त निज प्रेम लुटातीं, 

जीवन के इस आयोजन में 

रह असंग भूमिका निभातीं !


सत्य, प्रेम, ज्ञान के पथ पर 

हो नि:शंक वर्षों से बढ़तीं, 

एक अदृश्य लोक से आतीं 

किरणों को दामन में भरतीं !


ऐसे ही घर रहे आपका 

कृपा बरसती प्रकृति माँ की, 

फूलों जैसा खिला रहे मन 

लें बधाई इस पावन दिन की !



Sunday, January 26, 2025

साहस भरा हर श्वास में

माँ की पुण्य स्मृति को श्रद्धा सुमन 


उन्होंने हमें दिया जनम 

पोषण किया कर हर जतन, 

उस स्नेह ममता मूर्ति  को

कर याद हम करते नमन !


पढ़ती रहीं पढ़ाती भी 

बुनती सदा  सिखाती भी, 

साहस भरा हर श्वास में 

वह इक आत्मा स्वतंत्र थीं !


घूमीं बहुत पर्वत चढ़ीं 

दीपक जो छह जला गयीं, 

पिता संग माँ हर हाल में 

तृप्ति  का रस पिला गयीं  !


हम याद करते हैं उन्हें 

शुभ प्रेम अंतर में भरे, 

उन्हीं  रास्तों पर चल सकें 

जीवन से निज दिखा गयीं !