विवाह की वर्षगांठ पर
हार्दिक शुभकामनाओं सहित
अक्तूबर की बारह, कर देती पौ बारह
जाने कहाँ से आती फुर्ती, सुस्ती नौ दो ग्यारह
एक दूजे की आंखें तकते, यह प्यारा दिन उगता
संदेशे आते रहते, मुस्कानों से घर भरता
प्रेम भरा उपहार थमाते, चार हाथ कुछ नया बनाते
मधुर भोज, पकवान रसीले, मेहमानों सँग खाते
कुछ बीतीं बातें होतीं, यादें कुछ साझा करते
नयी नयी स्मृतियाँ समेट, नव उत्साह से भर जाते
बहुत बहुत मुबारक यह दिन, जीवन खिला रहे सदा
प्रीत का उत्सव मना करे, चले सदा यह सिलसिला !
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