Thursday, October 28, 2010

शादी मुबारक

 शुभ विवाह के लिये ढेर सारी शुभकामनाओं के साथ

शरद ऋतु की सुंदर बेला, देवी माँ का है शुभ वन्दन
सदा रहे अटूट यह रिश्ता, बहुत मुबारक नव गठबन्धन

मेल कानपुर व मेरठ का, सदियों से है चलता आया
आज उसी कड़ी में सुंदर, कथ्य नया इक जुड़ने आया

दो परिवारों के सपनों को, आज सभी सच होता देखें
स्वर्गवासिनी माँ के सँग सँग, देव देवियाँ हर्षित देखें

शिल्पी, श्रुति, अनुज पुलकित हैं, पिता दे रहे शुभ आशीषें
दादाजी फूले न समाते, नानी के ना पांव जमीं पे

ढोल बजे संगीत गूंजता, मामा का परिवार थिरकता
मेंहदी और सगन की रस्में, मिलजुल करते समय भागता   

लड़की वाले हुए व्यस्त हैं, नयी जगह फिर काम बहुत है
कब आये बारात यही धुन, जिसको देखो वही मगन है

मिलें सभी की दिली दुआएं, नव जोड़े को बहुत बधाई
दूर सही पर दिल से भेजी, चिठ्ठी कविता बन के आयी




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