Friday, October 29, 2010

कुछ दोहे प्रीत भरे

कुछ दोहे प्रीत भरे


भैया-भाभी आ रहे बिटिया के संग आज
मन में उठी उमंग का असल यही है राज I

छोटी भाभी साथ है दुगना है उल्लास
पलक पांवड़े बिछा रही मन में खिली पलास I

दिल्ली दुलियाजान का हुआ मिलन है आज
शुभ दिन है शुभ घड़ी भी हुआ चैत्र आगाज I

सुमन खिले चहुँ दिशा में ऋतु नरेश का काल
हर्षित भई आराधिका रेखा क्षितिज की लाल I

दिगबोई में चित्र लिए डिब्रुगढ़ से ट्रेन
गोहाटी में कर दर्शन पाया दिल का चैन I

मेघालय जा पहुंचे अब शोभित किया शिलौंग
सुख उजाला बरस रहा है दिनेश का संग I

घर अब देखो बुला रहा यात्रा करें समाप्त
यादें मधुर समेट दिलों में खुशियाँ कर लें प्राप्त I












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