Wednesday, January 28, 2015

सातवें जन्मदिन पर ढेर सारी शुभकामनाओं के साथ

सातवें जन्मदिन पर ढेर सारी शुभकामनाओं के साथ

अंक सात का है शुभकारी
सप्त स्वरों की महिमा न्यारी
सतरंगी है इन्द्र्धनुष भी
हुई सात बिटिया हमारी I

घर के काम सदा करवाती
होली पर गुजिया भरवाती
माँ की छाया बनी सदा वह
खाने वाली मेज सजाती I

खुश रहती हैं टीचर सारी
तेज दिमाग लिखाई प्यारी
शांत सदा कक्षा में रहती
मैचिंग पर फिदा सुकुमारी I

कुछ न कुछ सदा करना चाहे
छुट्टियों में दिन भरना चाहे
पेंटिंग, ड्राइंग, कशीदाकारी
कहानी सुनना उसको भाए I

कार्टून की है दीवानी
लेकिन न करती मनमानी
मूल्य समय का वह पहचाने
रिया रानी बड़ी सयानी I

भैया के संग होती मस्ती
कभी लड़ाई कभी दोस्ती
पापा डांट कभी न पाए
माँ की बातों पर हँस देती I

जनम दिवस के इस मौके पर
खुशियों के इस सुंदर पल पर
सदा रहो मुस्काती यूँ ही
सभी दुआएँ देते मिलकर I

Thursday, January 22, 2015

विवाह की वर्षगांठ पर हार्दिक शुभकामनाओं सहित

विवाह की वर्षगांठ पर हार्दिक शुभकामनाओं सहित


अक्तूबर की बारह, कर देती पौ बारह
जाने कहाँ से आती फुर्ती, सुस्ती नौ दो ग्यारह

एक दूजे की आंखें तकते, यह प्यारा दिन उगता
संदेशे आते रहते, मुस्कानों से घर भरता

प्रेम भरा उपहार थमाते, चार हाथ कुछ नया बनाते
मधुर भोज, पकवान रसीले, मेहमानों सँग खाते

कुछ बीतीं बातें होतीं, यादें कुछ साझा करते
नयी नयी स्मृतियाँ समेट, नव उत्साह से भर जाते

बहुत बहुत मुबारक यह दिन, जीवन खिला रहे सदा
प्रीत का उत्सव मना करे, चले सदा यह सिलसिला !

Tuesday, January 20, 2015

जन्मदिवस पर ढेरों शुभकामनाओं तथा स्नेह सहित

जन्मदिवस पर ढेरों शुभकामनाओं तथा स्नेह सहित



मन में समता, बुद्धि निर्मल
हो आत्मा में भरा आनंद
तन स्वस्थ हो अन्न शुद्ध हो
जन्म दिन मने सानंद I

श्वास में कम्पन न होता हो
द्वंद में ऊर्जा नहीं बहे
समय व्यर्थ न इक पल जाये
लक्ष्य से न नजर हटे I

मित्रों संग  भी समरसता हो
न दुःख लेना न दुःख देना
अपना पात्र निभे ठीक से
जीवन को बस ड्रामा लेना I

भय से मुक्त हो चित्त सदा ही
अभय सदा औरों को देना
अंतर्मन की शांत अवस्था
जग पर कभी न निर्भर करना I

ऐसे जीना खिला कुसुम ज्यों
रहे बाँटता प्रेम सुगंध
दिल से निकली आज दुआएं

जन्म दिन का करो प्रबंध I

Thursday, January 15, 2015

कुछ यादें मीठी सी

कुछ यादें मीठी सी


सजा हुआ था रिवाल्विंग स्टेज, दोनों ओर लगी सीढ़ियाँ
धीमे कदमों से चल आते, टिकीं हुईं थीं सब की अंखियाँ I

पुष्पहार लिये हाथों में, एक-दूजे के सम्मुख आये
थम सा गया समय का रथ ज्यों, तारे नभ के लख मुस्काए I

बनी साक्षी सारी सृष्टि, प्रेम के उस अद्भुत क्षण की
गूंज उठा करतल से प्रांगण, जिस पल थी जयमाल डली I

दो आत्मायें बंधी सूत्र में, एक हुए दो जीवन उस पल
फूलों की बरसात हुई जब, था अनुपम वह दृश्य स्वप्निल I

मानो स्वर्ग धरा पर उतरा, दिव्य मिलन होता देवों का
फैले थे रंगीन उजाले, जगमग करता कोना कोना I

हरियाली के बीच सजाया, था मंडप भी शुभ विवाह का
भोजन भी स्वादिष्ट अति, हर एक आयोजन सुंदर था I

पूजा के मंत्रोच्चारण व, मंगलमय सुखमय बेला में
अर्धरात्रि के बाद हुए थे, करके अग्नि को साक्षी फेरे I  

थी दोनों की प्रीत पुरानी, जो अब रंग ले आयी थी
रिश्तेदार, मित्र, सबन्धी, सब के मनों को भायी थी I

भीग गयीं सबकी आंखें, घड़ी विदाई की जब आयी
 रीति निभाने कुल की अपने बहना दुल्हन संग आयी I

माथे पर सिंदूर सजाये, पायल-बिछुए पहने पग में
दुल्हन आयी छमछम करती, शरमाती सी नूतन जग में I

मीठे-मीठे प्रहसन खेले, हँसते हँसते मस्त हुए सब
खाए-पीए, नाचे गाए, मनोरंजित जबरदस्त हुए सब I

सजने संवरने का मौसम था, कोई नहीं रहा था पीछे
लकड़ी के डांसिंग फ्लोर पर, डीजे की धुन पर सब नाचे I

बड़े जतन से गयीं निभायी, दोनों ही के घर में रीति
सगन रस्म सम्पन्न हुई, उस बड़े हाल में खुशी खुशी I

देशी-विदेशी मेहमानों ने, हर पल का आनंद लिया
मेंहदी, स्नान  और घुड़चढ़ी, कितनी रस्मों में भाग लिया I

छोटी-बड़ी लडकियां घर की, मन ही मन में सपने देखें
जैसी शादी इन दोनों की वैसी हो निज किस्मत में I