पापा जी के लिए
रब पर भरोसा कर लिया
घर से हुए बेघर तब किशोर ही तो थे
छोटी सी उम्र में भी हौसले बड़े थे
काम दिन में कई, की रातों को पढ़ाई
निभाया साथ माँ-बाप का पुत्र बड़े थे
सहा दुःख लाड़ली बिटिया के बिछड़ने का
आँसू उन आँखों के थमते ही नहीं थे
अनुजों को दिया था हर तरह का सहारा
भरोसे ऐसे पाले कि टूटे नहीं थे
पिता का साया उठा माँ की दुआएँ थीं
वह जब गयीं परिवार के मुखिया बने थे
बीच राह में संगिनी भी साथ छोड़ गयी
बच्चों के चेहरे देख ज़ख़्म सी लिए थे
दो भाई, एक बहन ने अंतिम विदा ली
रब पर भरोसा कर लिया बिखरे नहीं थे