Tuesday, November 30, 2021

रब पर भरोसा कर लिया

पापा जी के लिए 


रब पर भरोसा कर लिया

घर से  हुए बेघर तब किशोर ही तो थे 

छोटी सी उम्र में भी हौसले बड़े थे 


काम दिन में कई, की रातों को पढ़ाई 

निभाया साथ माँ-बाप का पुत्र बड़े थे 


सहा दुःख लाड़ली बिटिया के बिछड़ने का 

आँसू उन आँखों के थमते ही नहीं थे 


अनुजों को दिया था हर तरह का सहारा 

भरोसे ऐसे पाले कि टूटे नहीं थे 


पिता का साया उठा माँ की दुआएँ थीं 

वह जब गयीं परिवार के मुखिया बने थे 


बीच राह में संगिनी भी साथ छोड़ गयी 

बच्चों के चेहरे देख ज़ख़्म सी लिए थे 


दो भाई, एक बहन ने अंतिम विदा ली  

रब पर भरोसा कर लिया बिखरे नहीं थे