Thursday, April 28, 2022

शुभ दिन आया भर उल्लास


विवाह की वर्षगाँठ पर

वर्षों का है साथ पुराना

एक हुए थे दोनों आज,

एक-दूजे की कीमत जानें

रिश्ते पर दोनों को नाज !

 

शुभ दिन आया भर उल्लास

याद दिलाने उस बंधन की,

जीवन में आगे ले जाता

प्रीत जगी है प्रभु पावन की !

 

सद्गुरु का आलोक जगा है

मन में आया परम प्रकाश,

हर दुःख को हँस कर सह लेते

चिंता का नहीं अवकाश !

 

बेटी की खुशियाँ चाहते

सदा प्रेरणा उसको देते,

सुखी रहे घरबार सम्भाले

हिम्मत और सहारा देते !

 

हम सब की भी यही दुआ है

स्वप्न आपके सब हों पूरे,

कोई बात न बिगड़े अब से

नहीं रहें कोई काम अधूरे !

 

Sunday, April 24, 2022

गगन दे रहा उसे दुआएं

नन्ही के जन्म पर


नन्ही सी इक राजकुमारी 

देख-देख कर उमड़े प्यार, 

कोमल केश, गुलाबी रंगत 

ऊँ ऊँ करके रही पुकार ! 


जाने कितने स्वप्न लिये 

आयी रचने नव संसार, 

खुशियाँ देने माँ-पापा को 

हम सबका भी पाने प्यार ! 


मुँह खोल अंगडाई लेती 

घंटों आँखें मूंदे रहती, 

हल्की सी मुस्कान कभी 

अधरों पर लाके कुछ कहती ! 


एक अनूठा तोहफा हो ज्यों 

कुदरत ने जो है सौंपा  

देख-देख दिल हर्षित होता 

दादी, नानी संग सबका  ! 


गगन दे रहा उसे दुआएं 

पवन दे रही है आशीष

हम सब भी शामिल हैं उसमें 

प्रेम भरी दें शुभाशीष ! 


Thursday, April 14, 2022

मुबारक हो संग साथ

विवाह की वर्षगांठ पर शुभकामनाओं सहित 

(छोटी बहन के लिए) 


पिछवाड़े आंगन की 

बगिया में फूल खिले 

बैंगनी, हरे, लाल और श्वेत

डलिया भर शाक उतरे 

बीचोंबीच बनाया ईंटों का अग्निस्थल 

लोहड़ी की पावन आग जली  

एक किनारे लगा तंदूर पारंपरिक 

मिस्सी रोटी की सुगन्ध उड़ी

आँखों में चमक, अधरों पर हँसी

मुखड़ों पर तृप्ति बिछी 

बैठक में क्रिसमस की 

 शोभा है शेष अभी

 बना है एक आशियाना

सुंदर सजीले स्वप्नों का 

पूजा घर में देवों संग मुस्काते हैं साईं

गुरूजी ने भी है धूनी रमाई 

मुबारक हो संग साथ बरसों पुराना 

जुड़ता जा रहा है हर पल जिसमें नया तराना !



Thursday, April 7, 2022

अधरों पर आनन्द रागिनी



जन्मदिन पर

शुभकामना सहित


पढ़ना, लिखना, गुनना, भाता भीतर की दुनिया की राही, सत्य नजर से देखे दुनिया, सुख की नव परिभाषा पाई !

अब जब नीड़ हुआ है खाली,
बच्चे कभी-कभी आते हैं, घर में एक मन्दिर बनाया, पर्व पड़ोस संग मनते हैं !

मोह नहीं गहनों, वस्त्रों का मुक्त हृदय की बनी स्वामिनी, मुखड़ा आत्म ज्योति से दमके, अधरों पर आनन्द रागिनी !

सीधी, सरल, प्रेममय अंतर मिलने वालों का दिल छूती, तप कर सोना और निखरता, दर्प, गर्व से सदा अछूती !