भाभी की मधुर स्मृति में
उनके जन्मदिन पर
भाई के दिल की बात
इक मधुर याद सी बसती हो
मेरे मन के इस प्रांगण में,
इक मधुर गीत सी गूंज रही
इस दिल की हर इक धड़कन में !
इस जग में नित्य विचरता हूँ
मुस्कानों का संबल लेकर,
जो अब भी दीपों सी जलतीं
जो वारी थीं तुमने मुझ पर !
एकाकीपन जब खलता है
तुम हवा के झोंके सी आतीं,
जब पीड़ा से तन अकुलाया
हौले से आकर सहलातीं !
जब नाम रूप से जगत बना
रहे नाम तुम्हारा निकट सदा,
भले रूप नज़र न आता हो
हो यहीं कहीं हर पल लगता !