Thursday, October 19, 2023

मुस्कानों का संबल लेकर

भाभी की मधुर स्मृति में 

उनके जन्मदिन पर 

भाई के दिल की बात 


इक मधुर याद सी बसती हो 

मेरे मन के इस प्रांगण में, 

इक मधुर गीत सी गूंज रही 

इस दिल की हर इक धड़कन में !


इस जग में नित्य विचरता हूँ 

मुस्कानों का संबल लेकर,  

जो अब भी दीपों सी जलतीं 

जो वारी थीं तुमने मुझ पर !


एकाकीपन जब खलता है 

तुम हवा के झोंके सी आतीं, 

जब पीड़ा से तन अकुलाया 

हौले से आकर सहलातीं !


जब नाम रूप से जगत बना 

रहे नाम तुम्हारा निकट सदा, 

भले रूप नज़र न आता हो 

हो यहीं कहीं हर पल लगता  !



2 comments:

  1. बहुत भावुक और हृदयस्पर्शी👌🙏

    ReplyDelete
    Replies
    1. स्वागत व आभार डा विभा !

      Delete