पुत्र के
जन्मदिन पर
आकाश में उड़ता तुम्हारा जहाज़
केवल जहाज़ नहीं है
यह तुम्हारे दिल की पुकार है
जो उड़ना चाहता है दूर अंतरिक्ष में
जिसे नहीं भाते दुनिया के संकरे रास्ते
जो अपनी अनंत पहचान पाना चाहता है
जो हवाओं और खुले आकाश के साथ एक हो जाता है
नये-नये ज्ञान-विज्ञान सीखने को आतुर तुम्हारा मन
केवल कौतूहल नहीं पाना चाहता
वह भर जाना चाहता है विस्मय से
इस ब्रह्मांड की शक्तियों के विभिन्न रहस्यों से
हर बात को तर्कपूर्ण ढंग से प्रस्तुत करने की तुम्हारी चाह
केवल शाब्दिक समझ नहीं है
वह व्यवस्था के प्रति तुम्हारा भीतरी आग्रह है
जो मिटा देना चाहता है हर अव्यवस्था
ताकि सुंदर बने जीवन का हर पल, हर घड़ी
तुमने भर दिया है हमारे जीवन को उपहारों से
किताबों और नये से नये साधनों से
बदल रही है जैसे भूमिका
सन्तान और माता-पिता की
तुम्हारा अनकहा प्रेम व्यक्त होता है
उन रसीले फलों की मिठास में
हर सप्ताह होने वाली तुम्हारी उपस्थिति में
ऐसे ही यह साथ सजीला बना रहे जीवन संगिनी का
लुटाते रहो विश्वास और प्रेम मन का
सभी रिश्तों पर !