जन्मदिन पर ढेर सारी
शुभकामनाओं के साथ
मस्ती की ओढ़े चादर
दिल जैसे गहरी गागर,
छलक रहीं उम्मीदें पावन
लहरें ज्यों नाचें सागर !
हरी-भरी वादियाँ भातीं
ऊंचे पर्वत से सपने हैं,
प्रीत पुरानी पलती उर में
बसते मन में सब अपने हैं !
उत्तरांचल की पुण्य भूमि में
ध्यान किया हिम शिखरों पर,
किन्तु न टूटी मधुरिम धारा
अब दिल्ली की भी सडकों पर !
सदा समर्पित कर्त्तव्य को
है अनंत से जोड़ा बंधन,
तुष्टि, पुष्टि पाए हर पल
उत्सव एक बना है जीवन !
जन्मदिन तो एक बहाना
सदा दुआएं सब देते हैं,
भाव पुष्प कुछ उमड़े उर में
यह उपहार तुम्हें देते हैं !
अनिता दीदी
२२ अगस्त २०१४