Monday, March 21, 2022

खुशी मनाने के दिन आये



भांजी की मंगनी की रस्म पर

शुभकामनाओं सहित

दिल पर लिक्खा नाम प्रिय का, मन ही मन कन्या मुस्काए

देख देख दर्पण में मुखड़ा, खुद से ही ज्यों शरमा जाये !

 

कृपा बरसती हो जिस घर में, प्रेमभाव का सदा हो वास

देवों का आगमन निश्चित, जहाँ शुभता का नित्य निवास !

 

दोनों बहनें खुशी से झूमें, झोली भर-भर दें दुआएं,

मंगनी की शुभ रस्म हो रही, खुशी मनाने के दिन आये !

 

दी इक-दूजे को अंगूठी, देख-देख निहाल सब होते

मनों में उठती हैं हिलोरें, संबंधी आशीषें देते !

 

शुभ बेला, मंगलमय घड़ियाँ, सुखद सुहाने पल आए हैं,

पूर्ण हो गए, एक हुए जब, सपने जो देखे मिलजुल हैं !

 

इसी तरह हँसते मुस्काते, जीवन का सुंदर पथ गढ़ना

ज्योति ज्ञान की भर अंतर में, सबको सँग-साथ लिये बढ़ना !

 

प्रेम और सम्मान सदा हो, इक-दूजे का ध्यान सदा हो

नई-नई ऊंचाई पा लो, हर क्षेत्र में मान सदा हो !

 

वर-कन्या की शुभ जोड़ी, स्वयं ईश्वर ने है बांधी

प्रीत पुरानी है वर्षों की, पावन प्रेम से है रांधी

 

प्रणय यहाँ तक ले आया है, बंधे दोनों एक सूत्र में

गठबंधन यह जीवन भर का, संग-संग अब हर सुख-दुःख में


Thursday, March 10, 2022

मन में जोश अधर पर स्मित है




अनुज के लिए जन्मदिन पर शुभकामनाओं सहित


शहर-शहर में डगर-डगर पर 

सन्यासी सम विचरण करते, 

ऊँची-नीची सड़कों पर चल 

सदा एक का सुमिरन करते !


काशिपुर,देहरा, हरिद्वार 

नैनिताल की मनहर घाटी, 

कभी  लखनऊ, नगर मुज्जफर 

खुशियाँ जगह-जगह पर बाँटी !


कोरोना भी रोक न पाया 

ड्यूटी की जब बारी आयी, 

मन में जोश अधर पर स्मित है  

कुदरत  की सुंदरता भायी !


गुरु का हाथ सदा है सिर पर 

ज्ञान प्रकाश मार्ग दिखलाता, 

सदैव चमकता चन्द्रमा सा 

मुख दर्पण में उर दिख जाता !


इसी तरह सुंदर जीवन में 

आह्लाद के कुसुम खिलाना, 

जग उस पावन का मंदिर है 

कदम-कदम पर यही जताना !


Friday, March 4, 2022

जन्मदिन मुबारक हो



प्रिय भांजी के लिए


अखियों में बसा इंतजार

कब आयेगा राजकुमार,

ले जायेगा सँग में उसको

और जताएगा इकरार !

 

दर्पण में निहारे खुद को

सुंदर पाया चेहरा मोहरा,

अध्ययन तो हो गया पूरा

कब छंटेगा दिल से कोहरा !

 

स्कूल में थी तो दौड़ लगाती

अब दौड़ने से घबराए,

बॅाली-बॉल, कबड्डी खेली

सँग सखियों के मौज मनाये !

 

अब ‘अनोखी’ सँग दोस्ती

एस.एम.एस. के तोड़े रिकॉर्ड,

चेतन भगत प्रिय लेखक है

याद किया करती है गॅाड !

 

पावभाजी जब मिल जाये

मुख में पानी भर भर जाये,

हर गुरुवार को मंदिर जाके

शिरडी सांई को रिझाये !