Thursday, March 10, 2022

मन में जोश अधर पर स्मित है




अनुज के लिए जन्मदिन पर शुभकामनाओं सहित


शहर-शहर में डगर-डगर पर 

सन्यासी सम विचरण करते, 

ऊँची-नीची सड़कों पर चल 

सदा एक का सुमिरन करते !


काशिपुर,देहरा, हरिद्वार 

नैनिताल की मनहर घाटी, 

कभी  लखनऊ, नगर मुज्जफर 

खुशियाँ जगह-जगह पर बाँटी !


कोरोना भी रोक न पाया 

ड्यूटी की जब बारी आयी, 

मन में जोश अधर पर स्मित है  

कुदरत  की सुंदरता भायी !


गुरु का हाथ सदा है सिर पर 

ज्ञान प्रकाश मार्ग दिखलाता, 

सदैव चमकता चन्द्रमा सा 

मुख दर्पण में उर दिख जाता !


इसी तरह सुंदर जीवन में 

आह्लाद के कुसुम खिलाना, 

जग उस पावन का मंदिर है 

कदम-कदम पर यही जताना !


5 comments:

  1. जी नमस्ते ,
    आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शनिवार (१२ -०३ -२०२२ ) को
    'भरी दोपहरी में नंगे पाँवों तपती रेत...'(चर्चा अंक-४३६७)
    पर भी होगी।
    आप भी सादर आमंत्रित है।
    सादर

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  2. सुन्दर सृजन।

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  3. बहुत सुंदर ममतामई शुभकामनाएं।
    सुंदर सृजन।
    अनुज को हमारी भी शुभकामनाएं दें।
    सस्नेह।

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  4. बहुत सुंदर रचना

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  5. बहुत सुंदर कविता अनीता जी, गुरु का हाथ सदा है सिर पर

    ज्ञान प्रकाश मार्ग दिखलाता,

    सदैव चमकता चन्द्रमा सा

    मुख दर्पण में उर दिख जाता !...वाह

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