Sunday, June 2, 2019

दीदी के लिए जन्मदिन पर



दीदी के लिए जन्मदिन पर 

घुंघराले रेशमी कुंतल, कुछ उलझे कुछ हैं सँवरे से
मुखड़े पर विश्वास अभय का, चमके जो सुख के मेकप से

वैरागी मन रह अलिप्त ही    
जग के सारे रोल निभाता,
न लेना उधो देना माधो
समय बिना योजना बिताता !

फक्कड़ तबियत सहज स्वभाव, खुशियों का इक मिला खजाना
बिना शर्त अब इस थाती को, अपने चारों ओर लुटाना

प्रकृति का सुसान्निध्य मिला है
नियमित सांध्य भ्रमण हैं करती,
यादों को मन के अलबम संग
नोट डायरी में भी करतीं !

ज्ञान वचन सुन, मथकर उनको, निज अनुभव में उन्हें परखतीं 
दीपक भाई, नीरू माँ संग, मुलाकात रोजाना करतीं

ओशो के आश्रम जा जाकर
यादों का गुलदान बनाया,
उनकी ख़ुशबू से जब तब फिर
फेसबुक का वाल महकाया !

बच्चे जब भी मिलने आते, पोती, नाती पर बलि जाती
जीजा जी की हर फरमाइश, तत्क्षण खुश हो पूरा करतीं

सत्य अनकहा एक असीम
भीतर सबके छिपा हुआ है
निज शब्दों में उसे उतारें
सद्गुरू का भी साथ मिला है

भांजी के जन्मदिन पर




भांजी के जन्मदिन पर 


भारत बसता हर धड़कन में, पूर्ण समर्पित परिवार को,
बसा नार्वे भी है दिल में, ग्लोबल सिटीजन माने खुद को !

कोमल केश बिछे काँधों तक
अधर गुलाबी, गहरी आँखें,
मुस्का देती बात-बात पर
खिल जाती हैं बरबस बाँछें !

 तीन शिशु आंचल में खेलें, खुद भी बच्चों जैसी नटखट,
हर कार्य में हाथ बंटाए, संग प्रिय के मधुमय जीवन !

सास-ससुर का सहयोग है
है बड़ी ही किस्मत वाली,
दादा-दादी की पा आशीष
बच्चों की भी खुली लाटरी !

सामाजिक मुद्दों पर भी वह, अपनी निश्चित राय रखती,
सखियों में अति लोकप्रिय है, याद उन्हें बरसों तक करती!

सेहत का भी ध्यान बहुत है
कैलोरी, वजन पर नजरें,
गहरी मौलिक बातें खोजे
खाने में हैं थोड़े नखरे !

जन्मदिन पर ढेर दुआएं, यूँ तो याद सदा तुम आती,
गोदी में था जिसे खिलाया, वही बालिका बन मुस्काती !

अब भी सिडनी की सड़कों पर
कार चलाती तेज गति से,
नये युग की वर्किंग वुमेन
निर्णय लेती सहज मति से !