Wednesday, May 18, 2022

रंग बिखेरे कैनवास पर

 प्रिय भांजी के लिए 

जन्मदिन पर ढेर सारी शुभकामनाओं सहित 


तीन राजकुमारों की माँ 

वर्डल की दीवानी भी हो, 

यूएई यादों में बसा है 

परियों की कहानी सी हो ! 


स्वप्न देखते वे नींदों में 

जिन्हें भरा तुमने आँखों में, 

पालन-पोषण पल-पल मिलता 

सदा सुलाया है बाँहों में !


प्रकृति से परिचय करवाती 

पढ़ती हो पेड़ों की धड़कन,  

 प्राणी जगत से सहज प्रेम है

पत्तों फूलों से अपनापन !


सृजन की क्षमता भी है भीतर 

रंग बिखेरे कैनवास पर,

दीवाली पर सजी रंगोली 

मास्क बनाये हैलोइन पर !

 

देश-जहां की चिंता भी है 

छोटा सा दिल, दिल में जग है, 

कभी एक अल्हड़ बाला सी 

बसता जिसमें बचपन भी है !


सखियों के संग पिकनिक मस्ती 

फिर कोविड का पाया प्रसाद, 

सुख-दुःख तो आना जाना है 

रह जाता है शेष  उल्लास !


दोसा, केक, चॉकलेट संग 

बीत गए वे दिवस अकेले, 

भरे-पूरे से इस कुनबे में 

इंद्रधनुष के रंग बिखरते !


Thursday, May 5, 2022

कभी जगाया है घर भर को


प्रथम जन्मदिन पर

ओ नन्ही मुन्नी गुड़िया !

ठीक बरस भर पहले तूने

निज आँखें खोलीं दरस दिया !

 

पतले नाजुक अंग सुकोमल 

लालिमा युक्त, परी सी हल्की

स्वच्छ नयन थे, कोमल केश

स्निग्ध स्पर्श, अति अनूठा वेश


लेकिन तब भी नाना-नानी 

दादा-दादी को एक अनोखा

निर्मल पावन स्नेह दिया !


कभी जगाया है घर भर को

कभी हँसाया भोलेपन से

मुस्काता है जिसमें जीवन 

इतना सा मन, छोटा सा तन


पर तूने अस्त्तित्व से अपने

सारे घर का कोना-कोना

सहज ही जैसे भर दिया !

 

अब तू छोटे  कदम बढ़ाती

तुतलाहट से कभी लुभाती

ना जाने अंतर में कितनी

साध लिए जग में तू आयी


हो स्वप्न सत्य हर माँ-पिता का  

तेरे हित जो बुना किया ! 


भैया कहकर जिसे बुलाती

वह तेरे बचपन का साथी

रोता तुझे देख कब पाता 

झट बाँहों में लिए झुलाता 


दुनिया से परिचय करवाता 

प्रिय खिलौना भी झट दिया  !

 

अभी बोल मुँह से ना फूटे

पर जो तुझसे बातें करती 

तू जिसकी धड़कन से परिचित

इक-दूजे को खूब समझती


उस माँ की आँखों का तारा

तुझसे ही जिसका जग सारा

मुस्कानों को देखे तेरी 

भर जाता उसका हिया !