Thursday, June 18, 2015

श्रद्धांजलि

श्रद्धांजलि

एक आश्रय स्थल होता है पिता
बरगद का वृक्ष ज्यों विशाल
नहीं रह सके माँ के बिना
या नहीं रह सकीं वे बिना आपके
सो चले गये उसी राह
छोड़ सभी को उनके हाल....

पूर्ण हुई एक जीवन यात्रा
अथवा शुरू हुआ नवजीवन
भर गया है स्मृतियों से
मन का आंगन
सभी लगाये हैं होड़ आगे आने की
लालायित, उपस्थिति अपनी जताने की
उजाला बन कर जो पथ पर
चलेंगी साथ हमारे
बगीचे से फूल चुनते
सर्दियों की धूप में घंटों
अख़बार पढ़ते
नैनी के बच्चे को खिलाते
मंगलवार को पूजा की तैयारी करते
जाने कितने पल आपने संवारे....

विदा किया है भरे मन से
काया अशक्त हो चुकी थी
पीड़ा बनी थी साथी
सो जाना ही था पंछी को
 छोड़कर यह टूटा फूटा बसेरा
नये नीड़ की तलाश में

जहाँ मिलेगा एक नया सवेरा... 

(दो वर्ष पहले १८ जून को ससुर जी ने देह त्याग दिया, उसी समय यह लिखा था )

Wednesday, June 3, 2015

जन्मदिन पर

जन्मदिन पर 

कानपूर में जन्म लिया
पांच बरस का बच्चा है वह,
थोड़ा थोड़ा सा डरता है
लेकिन दिल का सच्चा है वह !

हाथीगढ़ में बीता बचपन
यूनिट यूनिट घुमा करता,
तामिलपुर में दोस्त बने हैं
वर्षा में वह झूमा करता ! 

दाल बहुत भाती है उसको
हरी सब्जियां भी खाता है,
मैडम का प्यारा शिष्य है
हँसते हुए स्कूल जाता है !

उससे तुम धोखा न खाना
आँखों में जो चमक दिख रही,
मासूम सा चेहरा आगे, पीछे
मस्ती की ही झलक दिख रही !

नाना-नानी लाड लड़ाते
माँ तो डांटा भी करती है
अक्षत प्यारा भाई उसका
दोनों की खूब बनती है !


Monday, June 1, 2015

जन्मदिन पर शुभकामनायें


जन्मदिन पर शुभकामनायें 



चेहरे पर थिरकती है
सदाबहार एक मुस्कान
नयनों में तृप्ति का
महासागर लहराता
श्वेत केशों से सजा भाल
आभामय आनन
 बिन बोले ही सब कह जाता !

बरसों से वैसी ही ललक है भीतर
जीवन को जीने की पुलक निरंतर
लजीज भोजन रोज ही पकातीं
कुरकुरे, स्वादिष्ट परांठे
जीजाजी को खिलातीं !

समधियों से नेह बंधन निभाएं
बच्चों के बच्चों को
प्यार से हँसाए
पिता और भैया को
आदर जनातीं आयीं
छोटों पर स्नेह नीर
सदा ही लुटातीं आयीं 

शुभ दिवस शुभ घड़ी पुनः है आई
दीदी को जन्मदिन पर ढेरों बधाई !