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Thursday, November 3, 2016

जहाँ रहो खुशियाँ ही बिखेरो

जन्मदिवस पर ढेर सारी शुभकामनाओं के साथ


नन्हा अभिनव था गोदी में
जब हम पहली बार मिले थे,
पढ़ ली थी आँखों की भाषा
दिल भी अपने बहुत खिले थे !

सँग-सँग कितनी शामें काटीं
मुस्कानों सँग बाटीं बातें,
जंगल घूमे, मनी पिकनिकें
नदियों के पानी में झाँके !

सिक्किम की वह मधुर यात्रा
यादें दार्जलिंग की सांझी,
धुर दक्षिण की रेल यात्रा
कितनी दिल में पुलक जगाती !

सहज, सरल स्वभाव तुम्हारा
शांत हृदय और तीव्र मेधा,
न कोई शिकवा न ही अपेक्षा
जो भी मिले, संतुष्ट सदा !

सुख-दुख दोनों में सम रहतीं
बच्चों को संस्कार दिये हैं,
आज याद आ रहीं सारीं बातें
अनुपम जो उपहार दिये हैं !

सदा रहोगी तुम इस दिल में
जब तक जीवन है यह शेष,
जहाँ रहो खुशियाँ ही बिखेरो
‘विभा’ तुम हो बहुत विशेष !


Tuesday, August 4, 2015

स्वागतम

स्वागतम


बरस के बादलों ने स्वागत किया 
प्रतीक्षा में उत्सुक हमारा हिया ! 

रसलखेमा से उड़ कर आये
दिल्ली में रहे मौज मनाये !

सहारनपुर भी पहुंचे जा
देहरादून की ठंडी हवा !

अब आये हैं दुलियाजान
लिये अधरों पर मुस्कान !

विवेक बिना पर सब सूना
जाना पुटुपरती नहीं पूना !

अनिता निहालानी
१६ अगस्त २०१०  

(जो मेहमान पाँच वर्ष पहले आये थे फिर से आने वाले हैं..  ) 

Thursday, June 18, 2015

श्रद्धांजलि

श्रद्धांजलि

एक आश्रय स्थल होता है पिता
बरगद का वृक्ष ज्यों विशाल
नहीं रह सके माँ के बिना
या नहीं रह सकीं वे बिना आपके
सो चले गये उसी राह
छोड़ सभी को उनके हाल....

पूर्ण हुई एक जीवन यात्रा
अथवा शुरू हुआ नवजीवन
भर गया है स्मृतियों से
मन का आंगन
सभी लगाये हैं होड़ आगे आने की
लालायित, उपस्थिति अपनी जताने की
उजाला बन कर जो पथ पर
चलेंगी साथ हमारे
बगीचे से फूल चुनते
सर्दियों की धूप में घंटों
अख़बार पढ़ते
नैनी के बच्चे को खिलाते
मंगलवार को पूजा की तैयारी करते
जाने कितने पल आपने संवारे....

विदा किया है भरे मन से
काया अशक्त हो चुकी थी
पीड़ा बनी थी साथी
सो जाना ही था पंछी को
 छोड़कर यह टूटा फूटा बसेरा
नये नीड़ की तलाश में

जहाँ मिलेगा एक नया सवेरा... 

(दो वर्ष पहले १८ जून को ससुर जी ने देह त्याग दिया, उसी समय यह लिखा था )

Wednesday, March 25, 2015

जन्म दिन पर

जन्म दिन पर
ढेर सारी आशीषों के साथ

छोटे केश गोल है मुखड़ा
बड़ी-बड़ी आंखें कुछ कहतीं,
मुस्काता है पूरे दिल से
कोई झिझक न दिल में रहती !

दादा-दादी, माँ का दुलारा
पापा की आँखों का तारा,
दिल में बसे नाना-नानी के
रोहन जग में सबसे न्यारा !

आ आ प प् बोल फूटते
ज्यादा सोता, थोड़ा रोए, 
दिन भर व्यस्त रखे वह माँ को
दूध सब्जियाँ फल सब भाए !

बुआ के संग मस्ती करता
एक साल का हुआ अभी है,
मासी, मामा दूर भले हों
 कई दीर्घ यात्रायें की हैं !


Friday, February 6, 2015

जन्मदिवस पर हार्दिक शुभकामनाओं सहित

जन्मदिवस पर हार्दिक शुभकामनाओं सहित

जन्मदिन मनाने का अच्छा है तरीका
अगले दिन चल दिए उत्तरी अफ्रीका I

सफर के ऊपर सफर हुए हैरान हैं
बाहर के भोजन ने किया परेशान है I

रह-रह धड़कता है उनका हिया
अप्रैल - मई में जाना लीबिया I

हैं तेल के कूप व रेगिस्तान बड़ा
गद्दाफी के देश का है झंडा हरा I

अरब हैं लोग इस्लाम को मानते
त्रिपोली की बाबत ज्यादा न जानते I

यात्रा सुखद हो सफल हों काम में
दुआ हम सबकी रहें बस राम में I