स्वागतम
बरस के बादलों ने स्वागत किया
प्रतीक्षा में उत्सुक हमारा हिया !
रसलखेमा से उड़ कर आये
दिल्ली में रहे मौज मनाये !
सहारनपुर भी पहुंचे जा
देहरादून की ठंडी हवा !
अब आये हैं दुलियाजान
लिये अधरों पर मुस्कान !
विवेक बिना पर सब सूना
जाना पुटुपरती नहीं पूना !
अनिता निहालानी
१६ अगस्त २०१०
(जो मेहमान पाँच वर्ष पहले आये थे फिर से आने वाले हैं.. )
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