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Tuesday, September 3, 2024

घर आये थे अरमान लिए

भांजे के लिए जन्मदिन पर 


घर आये थे अरमान लिए 

फिर झेला क़हर बादलों का, 

जब घुस आया घर में पानी 

कोना भी बचा था न सूखा !


भाई-बहनों संग धूम मची 

फिर इक-इक कर सब विदा हुए, 

कुछ वक्त बिताने और साथ 

हम चारों फिर भी यहीं रहे !


माँ पापा की अब उम्र हुई 

देह शिथिल पर दिल अभी जवां, 

हँसते-हँसते हर कष्ट सहा

घर में सदा ख़ुशियों का समाँ !


Tuesday, August 4, 2015

स्वागतम

स्वागतम


बरस के बादलों ने स्वागत किया 
प्रतीक्षा में उत्सुक हमारा हिया ! 

रसलखेमा से उड़ कर आये
दिल्ली में रहे मौज मनाये !

सहारनपुर भी पहुंचे जा
देहरादून की ठंडी हवा !

अब आये हैं दुलियाजान
लिये अधरों पर मुस्कान !

विवेक बिना पर सब सूना
जाना पुटुपरती नहीं पूना !

अनिता निहालानी
१६ अगस्त २०१०  

(जो मेहमान पाँच वर्ष पहले आये थे फिर से आने वाले हैं..  )