भांजे के लिए जन्मदिन पर
घर आये थे अरमान लिए
फिर झेला क़हर बादलों का,
जब घुस आया घर में पानी
कोना भी बचा था न सूखा !
भाई-बहनों संग धूम मची
फिर इक-इक कर सब विदा हुए,
कुछ वक्त बिताने और साथ
हम चारों फिर भी यहीं रहे !
माँ पापा की अब उम्र हुई
देह शिथिल पर दिल अभी जवां,
हँसते-हँसते हर कष्ट सहा
घर में सदा ख़ुशियों का समाँ !
सुन्दर भावपूर्ण कविता
ReplyDeleteस्वागत व आभार !
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