Thursday, March 18, 2021

सीधी, सरल, प्रेममयी वह

जन्मदिन पर शुभकामना सहित 


पढना, लिखना, गुनना, भाता

भीतर की दुनिया की राही,

सत्य नजर से देखे दुनिया,

सुख की नई परिभाषा पाई !

 

अब जब नीड़ हुआ है खाली,

बच्चे कभी-कभी आते हैं,

घर में एक मन्दिर बनाया,

पर्व पड़ोसियों संग मनते हैं !

 

मोह नहीं गहनों, वस्त्रों का

मुक्त हृदय की है स्वामिनी,

मुखड़ा आत्म ज्योति से दमके,

 अधरों पर आनन्द रागिनी !

 

सीधी, सरल, प्रेममयी वह

मिलने वालों का दिल छूती,

तप कर सोना और निखरता,

दर्प, गर्व से सदा अछूती !