भांजी के जन्मदिन पर
भारत बसता हर धड़कन में, पूर्ण समर्पित परिवार को,
बसा नार्वे भी है दिल में, ग्लोबल सिटीजन माने खुद को !
कोमल केश बिछे काँधों तक
अधर गुलाबी, गहरी आँखें,
मुस्का देती बात-बात पर
खिल जाती हैं बरबस बाँछें !
तीन शिशु आंचल में खेलें, खुद भी बच्चों जैसी नटखट,
हर कार्य में हाथ बंटाए, संग प्रिय के मधुमय जीवन !
सास-ससुर का सहयोग है
है बड़ी ही किस्मत वाली,
दादा-दादी की पा आशीष
बच्चों की भी खुली लाटरी !
सामाजिक मुद्दों पर भी वह, अपनी निश्चित राय रखती,
सखियों में अति लोकप्रिय है, याद उन्हें बरसों तक करती!
सेहत का भी ध्यान बहुत है
कैलोरी, वजन पर नजरें,
गहरी मौलिक बातें खोजे
खाने में हैं थोड़े नखरे !
जन्मदिन पर ढेर दुआएं, यूँ तो याद सदा तुम आती,
गोदी में था जिसे खिलाया, वही बालिका बन मुस्काती !
अब भी सिडनी की सड़कों पर
कार चलाती तेज गति से,
नये युग की वर्किंग वुमेन
निर्णय लेती सहज मति से !
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