प्रिय भांजी के लिए
अखियों में बसा इंतजार
कब आयेगा राजकुमार,
ले जायेगा सँग में उसको
और जताएगा इकरार !
दर्पण में निहारे खुद को
सुंदर पाया चेहरा मोहरा,
अध्ययन तो हो गया पूरा
कब छंटेगा दिल से कोहरा !
स्कूल में थी तो दौड़ लगाती
अब दौड़ने से घबराए,
बॅाली-बॉल, कबड्डी खेली
सँग सखियों के मौज मनाये !
अब ‘अनोखी’ सँग दोस्ती
एस.एम.एस. के तोड़े रिकॉर्ड,
चेतन भगत प्रिय लेखक है
याद किया करती है गॅाड !
पावभाजी जब मिल जाये
मुख में पानी भर भर जाये,
हर गुरुवार को मंदिर जाके
शिरडी सांई को रिझाये !
No comments:
Post a Comment