प्रिय पुत्र व पुत्रवधू के लिए
वर्षों बीते पलक झपकते, याद आ रही हैं वह घड़ियाँ,
संग-संग जीवन का वादा, दिल में फूटीं थीं फुलझड़ियाँ !
संग-संग जीवन का वादा, दिल में फूटीं थीं फुलझड़ियाँ !
अग्नि देव व अन्य देवों की, साक्षी में वचन दोहराया,
आशीर्वाद पाया बड़ों का, रिश्तों में प्रेम लहराया !
आशीर्वाद पाया बड़ों का, रिश्तों में प्रेम लहराया !
क्या अर्थ है मधुर बंधन का, समय के साथ स्पष्ट हो रहा,
वरमाला डाली थी उस दिन, अहसास हर पल हो रहा !
वरमाला डाली थी उस दिन, अहसास हर पल हो रहा !
सम्मान से किया था स्वागत, इक-दूजे के परिवारों का,
घुल मिल गये जैसे नीर-क्षीर, अब दो मिल गये माता-पिता !
घुल मिल गये जैसे नीर-क्षीर, अब दो मिल गये माता-पिता !
आपस में सहयोगी बन कर, शुभ कार्य सदा मिल कर करते,
दोनों के जॉब की खूबियाँ, स्वीकारी हैं पूरे दिल से !
दोनों के जॉब की खूबियाँ, स्वीकारी हैं पूरे दिल से !
पानी जैसे दो नदियों का, मिलकर एक हुआ बहता है,
पहले दो थे एक हुए फिर, भेद नहीं कोई रहता है !
पहले दो थे एक हुए फिर, भेद नहीं कोई रहता है !
भिन्न-भिन्न था कितना कुछ पर। ‘हम’ होते ही हो गया हमारा,
एक इकाई बन कर रहते, मेरा सब कुछ हुआ तुम्हारा !
एक इकाई बन कर रहते, मेरा सब कुछ हुआ तुम्हारा !
प्रेम ह्रदय का सदा समर्पित, अहंकार न मध्य में आता,
पहला दूजे के सुख-दुख में, पूरे दिल से साथ निभाता !
पहला दूजे के सुख-दुख में, पूरे दिल से साथ निभाता !
मैत्री का ही नाता पनपे, एक मना ले दूजा रूठा,
हँसी सदा झलके मुखड़े पर, कोई बड़ा न कोई छोटा !
हँसी सदा झलके मुखड़े पर, कोई बड़ा न कोई छोटा !