जन्म दिन पर
अधरों पर मुस्कान खिली है
नयन चमकते, तन चन्दन सा,
घुंघराले हैं
केश रेशमी
जो भी देखे रहे देखता !
भीतर एक तलाश चल रही
बाहर सारी दुनिया घूमे,
दिल में प्रेम छलकता छल-छल
पशु-पक्षियों तक जा पहुँचे !
वर्षों से विदेश बना घर
अपना कमरा फिर भी भाए,
माँ के हाथों बने व्यंजन
बचपन अब भी
उसे बुलाए !
निडर भाव, आवाज में मिश्री
हँसी खनकते सिक्कों सी,
अति आधुनिक वस्त्र सजीले
व्यक्तित्व में एक परी सी !
कलम पर है पकड़ अनोखी
किस्से और कहानी गढ़ती,
मित्र मंडली बहुत बड़ी है
हक से सबके दिल में रहती !
शुभकामनायें
ReplyDeleteबहुत शानदार , आपको बहुत बधाई
ReplyDeleteस्वागत व आभार हर्षिता जी व मदन मोहन जी !
ReplyDeleteस्वागत व आभार हर्षिता जी व मदन मोहन जी !
ReplyDelete