जन्मदिवस पर शुभकामनायें
अर्धशतक की ओर बढ़ रहे जनाब
सेवा कर माँ की पाते सबाब,
चौंका देना है शौके मिजाज
खिलाते घरवालों के गालों पे गुलाब !
फूलों, पंछियों के अक्स उतारे
सज गयी जिनसे बच्चों की किताब,
नफासत पसंद, सूक्ष्म निगाहें
हर शै का खासा रखते हिसाब !
ढेरों पत्रिकाएँ बढ़ातीं घर का शबाब
टीवी को सुबहोशाम करते आदाब,
कलाकारों को बिठाया है दिल में
पूरे किये कई बचपन के ख्वाब !
घर से दफ्तर, दफ्तर से घर
श्रीमती को खुश रखते जनाब,
बिटिया को भेजा है नजरों से दूर
बिल फोन का क्यों बढ़े न बेहिसाब !
बहुत सुन्दर कविता अनीता जी |
ReplyDeleteमेरी ब्लॉग पर 'इंतज़ार' कविता पढ़ें ।
http://merisyahikerang.blogspot.in/2015/05/blog-post_25.html
स्वागत व आभार मधुलिका जी
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