Thursday, September 30, 2021

जन्मदिन पर



जन्मदिन पर

 

माह जुलाई का आया तो

संग अपने परिवर्तन लाया,

योग पुनः आया जीवन में

कुक ने हल्का फ़ूड खिलाया !

 

वरना कोरोना हावी था

हफ़्तों जिसने घर बैठाया,

फिर शेफाली की थाली से

बैठे-ठाले वजन बढ़ाया !

 

अब गाड़ी पटरी पर आयी

जीवन फिर से चल निकला है,

काम के साथ और भी कुछ है

हर मुश्किल का हल निकला है !

 

प्रैक्टो का यह साल बारहवाँ

नए नए कीर्तिमान बनाए,

ऑन लाइन का युग आया है

डाक्टर घर बैठे मिलवाए !

 

काम भी है और सेवा भी है

दोनों हाथ में लड्डू अपने,

जल्दी ही सब हो नार्मल 

फिर से देखें कल के सपने !

 

अभी तो आज में ही जीना है

नित्य ही नयी चुनौती आती,

मन में जोश मस्तिष्क में हल ले

हर दिन क़िस्मत रंग दिखाती !


7 comments:

  1. जी नमस्ते ,
    आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शनिवार(०२-१०-२०२१) को
    'रेत के रिश्ते' (चर्चा अंक-४२०५)
    पर भी होगी।
    आप भी सादर आमंत्रित है।
    सादर

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  2. हार्दिक धुभकासमनाएँ,😊

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  3. याथर्थ को बयां करती बहुत ही उम्दा रचना

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  4. अभी तो आज में ही जीना है
    नित्य ही नयी चुनौती आती,
    मन में जोश मस्तिष्क में हल ले
    हर दिन क़िस्मत रंग दिखाती !
    बहुत ही सुंदर रचना आदरणीय मैम🙏🙏🙏

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  5. बहुत सुंदर रचना ।

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  6. बहुत सुंदर रचना,

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  7. बहुत सुंदर रचना

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