चौरासीवें जन्मदिन पर हार्दिक शुभकामनाओं सहित
जीवन को उत्सव बना लें, माता-पिता से पाया ज्ञान
सुंदर वही परंपरा निभा, ससुराल बनायी स्वर्ग समान !
खुद गीले में सो जाती थीं, बच्चों को सूखे में सुलाया,
जो भी मिला भोजन आहार, बांट प्रेम से उसे खिलाया !
भोजन कला में अति पटु हैं, पात्रा व ढोकला, बना लें
इदड़ा, समोसा, वेदमी, उंधियु, दाल ढोकली भी पका लें
श्रम से ज़रा नहीं घबरातीं, अपनी चाय खुद ही बनाएँ
पुत्र-पुत्री, पोते-पोती को, मेहनत के फ़ायदे सिखाएँ
जितना है उतने में निभाना, यही पाठ सबको पढ़ातीं
सुख-दुःख तो आने-जाने हैं, सुंदर ज्ञान सहज दे जातीं
असमय ही जब छोड़ गये थे, जीवन साथी इस यात्रा में,
छिपा लिया भारी दुःख मन में, बढ़ती रहीं सदा हिम्मत से
आठ दशक और चार बरस का, लम्बा सुखमय जीवन जिया है
अपने सरल सुंदर स्वभाव से, परिवार का स्नेह पाया है
सौ बसंत ऋतु देखें आप, यही कामना हम करते हैं
जन्मदिवस पर बड़े प्रेम से, दुआ प्रभु से यही करते हैं
बहुत सुंदर भाव प्रवण हृदय स्पर्शी सृजन।
ReplyDeleteमाँ को हमारी और से जन्म दिवस पर हार्दिक शुभकामनाएं, अभिनंदन।
स्वागत व आभार कुसुम जी!
ReplyDeleteजन्मदिवसस्य शुभाशया:🌹🌹🌹
ReplyDeleteस्वागत व आभार !
Deleteजितना है उतने में निभाना, यही पाठ सबको पढ़ातीं
ReplyDeleteसुख-दुःख तो आने-जाने हैं, सुंदर ज्ञान सहज दे जातीं
स्वागत व आभार कविता जी!
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