कॉलेज के मित्रों से पुनर्मिलन के अवसर पर
हवा में घुलकर आयीं लौट
कुछ यादें कैम्पस को छूकर,
की पार चौथाई सदी, दी
दिल के दरवाजे पर दस्तक !
पुनः सजीव हुए पल भर में
बरसों बरस पुराने सपने,
मिटीं दूरियाँ मीलों की हैं
फेसबुक पर सभी से मिलके !
जब से दिल को खबर हुई है
आँखें मिलने को हैं व्याकुल,
इक दूजे को फिर देखेंगे
उर भी सोच-सोच है आकुल !
जीवन के इस दीर्घ मार्ग पर
कितने मोड़ कठिन भी आये,
रुक जाने के. सुस्ताने के
अंतर में थे भाव समाये !
जब भी पग कमजोर पड़े थे
भीतर कोई जोश दिलाता,
कुछ करने जग में आये हैं
जज्बा यही आगे बढ़ाता !
इतना श्रम करके जो पाया
घटने कैसे देता उमंग,
कितने सपने देखे थे मिल
उन वर्षों की यादें थी सँग !
माँ, बाबा की सीख याद है
जग में सबसे हिलमिल रहना,
जो भी जितनी पायी क्षमता
जग को कुछ सुंदर कर जाना !
एक लगन आगे बढ़ने की
एक आग भीतर जलती थी,
कभी मिलेंगे, जो बिछड़े हैं
भीतर-भीतर वह कहती थी !
आज वही अवसर अनुपम है
नूर झलक आया चेहरों पर,
उम्र घट गयी हो पल भर में
पांव में थिरकन, गीत जुबां पर !
खुद से मिलने का जी करता
खुद में सबको पाया जो है,
दूर नहीं अब पल मिलने का
गीत मिलन का गाया जो है !
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