अंकल के लिए शुभकामनाओं सहित
मनअंतर में उल्लास भरा
मुखड़े पर है ज्ञान दमक,
केश धूप में नहीं पके हैं
दिखती है नयनों में चमक !
आरआरएस को बहुत मानते
सेवा भाव संस्था में है,
अटल जी से परिचय भी था
अनगिन यादें दिल में हैं !
नामरूप में कार्य किया था
फिर शिलांग भी कार्यक्षेत्र था,
अति भाया फिर नगर यह सुंदर
यहीं बसाया है डेरा !
सुंदर संगिनी भी साथ है
संतानें तीन पायी हैं,
जीवन से संतुष्ट दिख रहे
दुःख की यह घड़ी आई है !
किन्तु बन बरगद सी छाया
पुत्री को सहारा देते,
अपनी सहज प्रेम ऊर्जा
हर पल ही बिखराते रहते !
अनिता निहालानी
२० मई २०१५
बहुत सुंदर प्रस्तुति।
ReplyDeleteस्वागत व आभार ज्योति जी !
ReplyDeleteबहुत सुंदर, आदरणीय बड़े बुजुर्ग की बात ही अलग होती है
ReplyDeleteस्वागत व आभार मधुलिका जी!
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