Tuesday, December 3, 2024

कितने दिन थे राम के पास

जन्मदिन पर

बीता बरस जन्मदिन आया 

 नदी समय की बहती जाती, 

बड़े मज़े की बात यही है 

हर बार यही धड़कन गाती !


कौन देखता रहकर भीतर 

समय बीतता वही न बीते, 

बरसों में यह तन शिथिल हुआ  

पर मन के घट कभी न रीते !


स्वप्न समान सभी अनुभव अब 

इस पल जाग जरा देखें हम, 

जाता हुआ वर्ष यह कहता 

क्या करना क्या नहीं करो तुम !


हर पीड़ा गहराई देती 

हर आनंद नूतन विश्वास, 

कितने दिन माया ने घेरा 

कितने दिन थे राम के पास !


बदली भरे कई दिन आये 

कितने सूरज चमके नभ में, 

कई अडिग संकल्प भी लिए 

बिटिया की शादी में उनमें !


भीतर गहन मौन भी देखा 

बाहर दुनिया-देश घूमते, 

हर मुश्किल का हल भी सूझा 

मन जब था अंतर उत्सव में !


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