जन्मदिन पर
मांगीं थीं कितनी मनौतियाँ, माँ, पिता ने तुमको पाया
देवलाली बनी जन्मभूमि, नया उजाला घर में छाया I
कहतीं हैं माँ गोलमोल थे, घने केश, था सुंदर मुखड़ा
बचपन का एक फोटो भी है, जैसे कोई चाँद का टुकड़ा I
दूध जलेबी खूब खिलाई, तुमको नाजों से पाला था
अनुज और बहनें आयीं फिर, तुमने खूब सम्भाला था I
वाराणसी में बचपन बीता, क्रिकेट खेलते टूटा दांत
बीटीएस में शिक्षा पायी, हाई स्कूल किया था पास I
इंटर किया एआईसी से, बड़े बड़े कंधों तक केश
बच्चन थे फेवरेट हीरो, बेलबाटम था तब का वेश I
पीएमसी ग्रुप बीएससी में, वहीं हुई थी आँखें चार
लेकिन तब तक किसे पता था, इसको ही कहते हैं
प्यार I
एमएससी कर शोध कार्य भी, बीएचयू में शुरू किया
बार्क में फिर काम मिला पर, दस ही दिनों में छोड़ दिया I
किस्मत लायी फिर दुलियाजान, नीड़ सुहाना यहीं बनाया
तेल कम्पनी आयल इंडिया में, अनुसंधान का काम किया I
सक्षम वैज्ञानिक बन चमके, उपलब्धियों की एक श्रंखला
नयी-नयी तकनीकें देकर, आयल को है समृद्ध किया I
आरएंडडी को किया है उन्नत, आईएसआई का मार्क दिया
वेबसाइट की शुरुआत की, सौंदर्यीकरण में साथ दिया I
स्नेह सभी को मिलता तुमसे, समझौते कितनों में कराए
जगह जगह है छाप तुम्हारी, कितनी कीं विदेश यात्रायें I
जाने कितने लिखे हैं पेपर, पुरस्कार भी कितने पाए
सहज, प्रखर, उर्वर मेधा से, नए-नए प्रोजेक्ट चलाए I
आज गर्व से ऊँचा है दिल, तुम से जुडकर मिली है मंजिल
नाम तुम्हारा जुड़ा नाम से, मुस्काई है देखो महफिल I
मनपसंद डिश कढ़ी बेसन की, नीला रंग तुम्हें भाता है
मेलबोर्न की यादें दिल में, मुनार भी याद आता है I
शहरों में शहर बैंगलुरु, जोधपुर-ताज होटल यूनिक
‘कीप-ऑफ-द-ग्रास’ किताब फेवरेट, फिल्म है साउंड-ऑफ-म्यूजिक I
आज तुम्हारा जन्म दिवस है, खुशियों का समां छाया
जीवन एक उत्सव है कहने, मुस्काने का मौसम आया I
बहुत ही उम्दा रचना प्रस्तुत की है आपने, धन्यवाद। इस लिंक पर मेरी नई रचना मौजूद है।
ReplyDeleteसुन्दर शब्द रचना
ReplyDeleteआपको सपरिवार होली की हार्दिक बधाई और शुभकामनाएँ .....!!
http://savanxxx.blogspot.in